पुस्तक विक्रेताओं की मनमानी के चलते निजी प्रकाशनों की किताबें बेची जा रहीं हैं ज्यादा दामों पर

स्कूलों की सांठगांठ कर वास्तविक मूल्य छिपाया, एनसीईआरटी की किताबों से प्राइवेट स्कूल बना रहे दूरी

हापुड़। शैक्षिक सत्र 2023-24 शुरू होने जा रहा है, ऐसे में पुस्तक विक्रेताओं ने स्कूलों से सांठगांठ कर, निजी प्रकाशनों की किताबों पर ज्यादा दाम वसूलने शुरू कर दिए हैं। वास्तविक दाम पर काली चिट चिपकाकर, मनमर्जी के दाम लिए जा रहे हैं।

एनसीईआरटी की किताबों को दर किनार कर, बेहद महंगी किताबें छात्रों पर थोपी जा रही हैं। बाबूगढ़ क्षेत्र से एक अभिभावक ने वीडियो बनाकर अधिकारियों को भेजा है। जिसमें दिख रहा है कि कक्षा दो के कोर्स में लगाई गई एक किताब की कीमत 240 रुपये है, जबकि इसी किताब पर एक स्थान पर काली चिट चिपकी है। उसे हटाने पर वास्तविक दाम निकलकर सामने आया तो इस खेल का पता चला। काली चिट के नीचे किताब के दाम महज 170 रुपये थे।

शासन, प्रशासन भले ही छात्रों को मुनासिब दामों पर अच्छी किताबों दिलाने की मुहिम चला रहा है, इसके लिए एनसीईआरटी कि किताबों को मान्यता भी दी गई है। लेकिन निजी स्कूल अधिकारियों के निर्देशों को ठंेगा दिखा रहे हैं, एनसीईआरटी की किताबें तो दूर निजी प्रकाशनों की किताबों पर भी 40 फीसदी तक अधिक पैसा कमा रहे हैं। बाबूगढ़, बछलौता रोड, कुचेसर चौपला स्थित पुस्तक विक्रेता इसी प्रकार अभिभावकों को लूट रहे हैं।

कोर्स खरीदने में ही ढीली हो जाती हैं जेबें

जिले में बहुत से स्कूल अपने यहीं से किताबें बांट रहे हैं, कक्षा एक का कोर्स कई स्कूल चार हजार रुपये तक दे रहे हैं, जबकि सामान्य निजी प्रकाशनों की किताबों से संबंधित कक्षा एक का कोर्स 1500 रुपये तक बन रहा है। कुल मिलाकर निजी प्रकाशनों की किताबों का कक्षा एक का कोर्स और एनसीईआरटी के इंटरमीडिएट का कोर्स लगभग बराबर पैसों का है।

जिले में संचालित स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें चलाने के आदेश हैं। किताबों पर ओवर रेटिंग का मामला गंभीर है, इसमें उचित कार्यवाही की जायेगी। अभिभावकों का शोषण नहीं होने दिया जायेगा। -पीके उपाध्याय, डीआईओएस

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