साल का अंतिम खग्रास चंद्र ग्रहण 8 नवम्बर को,हापुड़ में 5.27 मिनट में 52 मिनट को हो दोमयी पुल पर दूरबीन से देख सकेगें चंद्र ग्रहण

हापुड़।

8 नवम्बर मंगलवार को इस वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण पड़ने जा रहा है जो होगा तो खग्रास (पूर्ण) ग्रहण लेकिन भारत की भौगोलिक स्थिति के कारण हमें पूर्ण चंद्रग्रहण के बाद का खंडग्रास चंद्रग्रहण ही दिखाई देगा।

भौतिक विज्ञान प्रवक्ता
एवं ज्योतिषाचार्य अजय कुमार मित्तल ने बताया कि जनपद हापुड़ के अक्षांश 28.733 अंश के अनुसार 8 नवम्बर को हापुड़ में सूर्यास्त और चंद्रोदय दोनों का ही समय सायं 05:27 बजे है अर्थात जिस समय एक ओर पश्चिम दिशा में सूर्यास्त हो रहा होगा तब उसी समय दूसरी ओर पूरब दिशा में चन्द्रमा का उदय हो रहा होगा तथा हमारी पृथ्वी उनके ठीक बीच में होगी।

उन्होंने बताया कि इस कारण से चंद्रमा पर सूर्य के कारण पृथ्वी की उपछाया तो दोपहर 01:32 बजे से ही प्रारम्भ हो जाएगी जबकि उसकी छाया से चन्द्रमा का आंशिक ग्रहण सायं 02:29 बजे से स्पर्श के साथ प्रारम्भ हो जाएगा। सायं 03:46 बजे से पृथ्वी की छाया से चन्द्रमा का पूर्ण ग्रहण प्रारम्भ होगा जो 01 घंटा 15 की अवधि तक रहते हुए चंद्रोदय से पहले ही सायं 05:11 बजे तक रहेगा लेकिन इस अवधि में चन्द्रमा के क्षितिज से नीचे होने के कारण हमें यह पूर्ण ग्रहण देखने को नहीं मिलेगा । पूर्ण ग्रहण पूरा होने के 16 मिनट बाद हापुड़ से सायं 05:27 बजे से आंशिक ग्रसित चन्द्रमा के दर्शन होंगे।

उन्होंने बताया कि हापुड़ से देखने पर चन्द्रमा का पूर्ण ग्रहण सूर्यास्त से पहले हो चुकेगा इसलिए हमें ग्रस्तोदय चंद्रग्रहण के दर्शन होंगे। पूर्ण ग्रहण के बाद चंद्रमा से ग्रहण के छँटने का यह क्रम सायं 06:19 बजे तक रहेगा और चंद्रमा से पृथ्वी की छाया पूर्णतः हट जाएगी और ग्रहण का मोक्ष हो जाएगा जबकि उपछाया उसके एक घंटे सात मिनट बाद रात्रि 07:26 बजे हट जाएगी। इस प्रकार हापुड़ में सायं 05:27 बजे से 06:19 बजे तक 52 मिनट के लिए आंशिक चंद्र ग्रहण दिखेगा। इस दिन हमें ग्रहण के स्पर्श के नहीं बल्कि केवल मोक्ष के दर्शन होंगे। भारत में केवल पूर्वी क्षेत्र के कुछ हिस्सों से खग्रास (पूर्ण) चंद्रग्रहण दिखेगा जबकि शेष भारत में केवल खंडग्रास (आंशिक) चंद्रग्रहण ही दिखाई देगा।
आकाशीय काउन्सिल में इस दिन उदय होते समय चन्द्रमा तुला राशिगत सूर्य, बुद्ध और शुक्र के ठीक विपरीत दिशा में मेष राशि में २२ अंश पर भरणी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में विद्यमान होंगे।
सूर्य अपने प्रकाश से चमकता है जबकि चन्द्रमा सूर्य के आपतित प्रकाश से चमकता है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है जबकि चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। ऐसी खगोलीय गति के अंतर्गत जब कभी भी सूर्य और चन्द्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा की उस सतह पर नहीं पड़ पाता जो पृथ्वी के ठीक सामने होती है जिसके कारण चाँद की वो सतह पृथ्वी वासियों के सामने होते हुए उन्हें दिखाई नहीं देती। इस घटना को “चंद्रग्रहण” कहते हैं। चंद्रग्रहण को नंगी आँखों से देखा जा सकता है और इस अवधि में किसी भी प्रकार का कोई दोष नहीं लगता। यह एक खगोलीय घटना है जिसका आनन्द लेना चाहिए।

ग्रस्तोदय चंद्रग्रहण को बड़ी दूरबीन से प्रत्यक्ष देखने की निशुल्क व्यवस्था सायं पाँच बजे से जनपद हापुड़ के गाँव दोयमी में पुल पर रहेगी। इच्छुक दर्शनार्थी इस व्यवस्था का लाभ उठा सकते हैं।

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