82 वर्ष के चंद्रवीर 50 साल बाद हत्या के आरोप से मुक्त
मेरठ
विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम प्रहलाद सिंह ने शुक्रवार को 82 वर्षीय चंद्र उर्फ चंद्रवीर को हत्या के मामले में धारा 300 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत उन्मोचित यानि आरोप मुक्त कर दिया। चंद्र समेत चार लोग इस मामले में नामजद थे। तीन की पहले ही ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है। इस मामले में पत्रावली नहीं होने पर यह निर्णय लिया गया।
लंबी कानूनी प्रक्रिया चली
50 साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया व तारीखों के बाद यह फैसला आया। 16 नवंबर 1972 को बुलंदशहर जिले के लाठौर गांव में शेर सिंह के 12 वर्षीय इकलौते बेटे सुरेंद्र की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी। जिस समय यह घटना हुई पिलुखवा मेरठ जनपद का हिस्सा था। पिलखुवा में नहर पटरी से सुरेन्द्र का शव बरामद हुआ था। शेर सिंह ने गांव के ही चन्दर उर्फ चंद्रवीर सिंह, श्रीराम, मूर्ति देवी और सत्यवीर के खिलाफ थाना पिलखुवा पर नामजद हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
पुलिस ने भेजा था जेल
पुलिस ने चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। छह माह बाद उन्हें जमानत मिली। पिलखुवा मेरठ जिले में था, मामला मेरठ कोर्ट में चला। वर्ष 1973 में जिला बुलंदशहर में दीवानी न्यायालय बन गया। 8 अक्टूबर 1973 को आरोपितों के अधिवक्ता ने मेरठ कोर्ट में प्रार्थना पर देकर केस बुलंदशहर ट्रांसफर करने का प्रार्थना पत्र उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दिया। क्षेत्राधिकार तय करने को केस की मूल पत्रावली उच्च न्यायालय भेज दी गई थी। इसके बाद से आज तक मुकदमे की पत्रावली न बुलंदशहर पहुंची और न ही मेरठ वापस आई।
हत्यारों को सजा दिलाने की आस में हुयी मौत
बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने की आस लिए शेर सिंह की मौत हो गयी। आरोपित सत्यवीर का देहांत वर्ष 1973, मूर्ति देवी की मौत वर्ष 2016 में और तीसरे आरोपित श्रीराम का देहांत वर्ष 2018 में हो गया। इस मामले में केवल 82 साल का आरोपित चन्द्र उर्फ चंद्रवीर सिंह ही बचा। चंद्र के अधिवक्ता राहुल शर्मा ने 4 अगस्त 2023 को न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर बताया, आरोपितों के विरुद्ध पत्रावली पर साक्ष्य नहीं है और न ही पत्रावली का कोई अता पता है। चंद्र बेहद वृद्ध और हृदय का मरीज है। पिछले 50 वर्षों से न्यायालय आ रहा है।
न्यायालय ने प्रार्थना पत्र पर सुनवाई कर आरोपित को धारा 302, 201, 364, 120 भारतीय दंड संहिता थाना पिलखुवा जिला हापुड़ के अभियोग से उन्मोचित यानि आरोप मुक्त कर दिया।