ओपीडी और इमरजेंसी छोड़कर कोर्ट में गवाही देने की चिकित्सकों की भाग दौड़ खत्म
गाजियाबाद:
गाजियाबाद में ओपीडी और इमरजेंसी को छोड़कर कोर्ट में गवाही देने के लिए डॉक्टरों की भीड़ खत्म हो जाएगी। योजना सफल रही तो डॉक्टरों को कोर्ट नहीं जाना पड़ेगा. सरकार के निर्देश पर प्रदेश के तीन जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जल्द ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डॉक्टरों की गवाही शुरू होने जा रही है.
तीन जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा
इन जिलों में गाजियाबाद के साथ-साथ लखनऊ और प्रयागराज भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिला एमएमजी अस्पताल का चयन किया है।
सीएमओ डॉ.भवतोष शंखधर ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि आपराधिक मामलों में संबंधित चिकित्सक की गवाही के लिए अस्पताल में विशेष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष बनाया जाएगा। इसी में बैठकर किसी भी केस से संबंधित चिकित्सक की गवाही अस्पताल से ही दर्ज होगी। जिला स्तर पर एक कोर्ट और थाने का चयन होना बाकी है।
शासन की मंशा है कि आपराधिक वादों में संबंधित गवाहों को बार-बार बुलाया जाता है, लेकिन समय से नहीं पहुंचते हैं और खासकर ओपीडी के समय होने वाली गवाही के चलते चिकित्सक समय पर कोर्ट में नहीं पहुंच पाते हैं।
ऐसे में वादों का निस्तारण समय पर नहीं हो पाता है। ज्यादातर मामलों में मेडिकोलीगल और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट डॉक्टर खुद ही तैयार करते हैं। अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो पूरे राज्य में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाहों की सुनवाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
मुख्य सचिव ने दिये निर्देश
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव संजय प्रसाद की ओर से जारी आदेश में डीएम, पुलिस कमिश्नर और सीएमओ को निर्देश दिया गया है कि इसके अनुपालन में कोई भी लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी.
आपराधिक मामलों में न्यायालयों द्वारा समन के निष्पादन एवं राज्य सरकार द्वारा उनकी ट्रैकिंग के संबंध में एन-स्टेप या इसी तरह की वैकल्पिक प्रणाली के कार्यान्वयन के संबंध में, प्रत्येक पुलिस स्टेशन, अस्पताल और अदालत को पायलट प्रोजेक्ट के लिए नामित क्षेत्रों में अर्थात प्रयागराज, लखनऊ एवं गाजियाबाद में समन्वय स्थापित करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाहों के बयान दर्ज कराने का प्रयास किया जाए।
इस संबंध में मॉनिटरिंग सेल की बैठक में उक्त थाना, अस्पताल एवं कोर्ट को चिन्हित किया जाये. इसके साथ ही समन में लापरवाह कर्मियों और पर्यवेक्षी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी जारी किये गये हैं.