हापुड़(अमित मुन्ना)। भारत को 2025 तक क्षय रोग मुक्त करने के लक्ष्य के लिए केंद्र सरकार लगातार क्षय रोगियों की पहचान और तुरंत उपचार शुरू कराने के प्रयास में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती। इसी क्रम में केंद्र सरकार के निर्देश पर क्षय रोग विभाग अब मरीजों के घर-घर जाकर उनकी जियो टैगिंग करने में लगा है। जनपद में 25 जून से शुरू हुए इस अभियान के तहत अब तक 70 फीसदी से अधिक मरीजों की जियो टैगिंग की जा चुकी है। जनपद में इस समय साढ़े सात हजार से अधिक क्षय रोगी हैं। जियो टैगिंग होने के बाद क्षय रोग विभाग को क्षय रोगियों की निगरानी करने में काफी मदद मिलेगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रेखा शर्मा ने बताया जनपद में क्षय रोगियों की जियो टैगिंग का काम अंतिम चरण में है। क्षय रोग विभाग की टीम रोगियों के घर-घर जाकर अपने मोबाइल के जरिए निक्षय पोर्टल पर लोकेशन अपडेट करते हुए जियो टैगिंग कर रही हैं। जियो टैगिंग से क्षय रोग विभाग को काफी आसानी हो जाएगी, स्वास्थ्य कर्मी मोबाइल पर निक्षय एप के जरिए सीधे क्षय रोगी के घर पहुंच सकेंगे। सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह टेक्नोलॉजी क्षय रोगी और टीबी केंद्र के बीच की दूरी कम करने वाली है। उन्होंने बताया सरकारी और निजी चिकित्सालयों में उपचार कराने वाले सभी क्षय रोगियों की उनके घर जाकर जियो टैगिंग कर लोकेशन को निक्षय पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राजेश कुमार सिंह ने बताया क्षय रोग विभाग की 12 टीम जियो टैगिंग करने में जुटी हैं। 2019, 2020 और 2021 के दौरान चिन्हित सभी क्षय रोगियों की जियो टैगिंग की जा रही है। इन तीन वर्षों के दौरान जनपद में साढ़े सात हजार से अधिक क्षय रोगी चिन्हित किए गए हैं। 70 फीसदी से अधिक रोगियों की जियो टैगिंग का काम पूरा किया जा चुका है। उन्होंने कहा जियो टैगिंग के जरिए क्षय रोग विभाग को मरीजों की सही लोकेशन पता लगाने में बहुत आसानी हो जाएगी तथा उसका उपचार तत्काल प्रारंभ हो सकेगा। पीपीएम समन्वय सुशील चौधरी ने बताया सभी रोगियों (सरकारी एवं निजी क्षेत्र) का निक्षय मोबाइल एप पर टीयू/पीएचआई लॉगिन के माध्यम से जियो टैगिंग करते हुए लोकेशन अपडेट की जा रही है। उन्होंने बताया जियो टैगिंग का मुख्य उद्देश्य टीबी रोगियों के निवास की पहचान करना है। पूरी जानकारी मैप के जरिए ऑनलाइन मिल सकेगी। जियो टैगिंग से किस क्षेत्र में कितने क्षय रोगी हैं यह देखा जा सकेगा और फिर विभागीय अधिकारी संबंधित क्षेत्र में अधिक फोकस कर सकेंगे।