एक-दूसरे की ‘वर्दी पर ही कीचड़ उछाल रहे’ यूपी पुलिस के दारोगा और इंस्पेक्टर
मेरठ
हस्तिनापुर में खनन का मामला पहले भी लखनऊ तक पहुंच चुका हैं, उसके बाद भी खनन रोकने में पुलिस नाकाम साबित हो रही हैं। दारोगा खनन के तीन डंपरों को पकड़कर थाने ले आए। यह डंपर भाजपा से जुड़े लोगों के हैं। ऐसे में दारोगा को लाइन हाजिर कर दिया।
हालांकि, अफसर दावा कर रहे है कि दारोगा ने डंपर सीज नहीं किए। दूसरे दारोगा को लगाकर डंपर सीज की कार्रवाई की गई है। इसलिए लापरवाही के चलते उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। सवाल है कि डंपर तो सीज किए, पर डंपर स्वामियों पर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया गया?
यह है पूरा मामला
हस्तिनापुर थाने में तैनात दारोगा आशीष यादव अवैध खनन कर रहे तीन डंपरों को पकड़कर थाने ले आए। बताया जाता है कि उसके बाद दारोगा और इंस्पेक्टर रमेश चंद शर्मा में कहासुनी हो गई। उससे 26 दिन पहले भी डंपरों को पकड़कर दारोगा थाने लाए थे। कोई मुकदमा दर्ज नहीं होने पर डंपर दोबारा से शुरू हो गए।
दारोगा ने इंस्पेक्टर पर लगाया आरोप
दारोगा आशीष यादव का कहना है कि खनन करने वालों से इंस्पेक्टर के संबंध है, जो दो लाख रुपये प्रतिमाह इंस्पेक्टर को देते हैं। इसलिए डंपर को थाने लाने का इंस्पेक्टर ने नाराजगी जाहिर की थी। तस्करी डालकर हमारी रिपोर्ट अफसरों को भेज दी, जिस पर कप्तान ने लाइन हाजिर कर दिया।
दारोगा पर 45 हजार रुपये लेने का आरोप
उधर, इंस्पेक्टर रमेश चंद शर्मा ने बताया कि आशीष यादव डंपरों को पकड़कर थाने लाए। रिकार्ड में दाखिल करने के बजाय 45 हजार रुपये लेकर छोड़ने लगे। छोड़ने का विरोध किया तो अनर्गल आरोप लगाने लगे हैं।
थाने के दूसरे दारोगा को लगाकर डंपरों को सीज किया गया, यह डंपर ओमवीर भड़ाना और मोनू शर्मा के है। दोनों ही भाजपा से जुड़े हुए है। सीओ की तरफ से जांच रिपोर्ट पेश की गई, जिस पर कार्रवाई करते हुए दारोगा को लाइन हाजिर किया गया।