हापुड़ से विशेष लगाव था महात्मा गांधी को,1942 में असहयोग आंदोलन का बिगुल हापुड़ से ही फूंका था



-हापुड़, गढ़ में तीन बार आए थे गांधी जी

अमित अग्रवाल/हापुड़।

देश की आजादी के अग्निकुंड में हापुड़वासियों ने भी अपनें प्राणों की आहुती देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हापुड़ के असौड़ा महल व गांधी गंज में दो बार हापुड़ आकर जनसभा कर हापुड़ वासियों को देश की आजादी का बिगुल बजाया था।
देश की आजादी के लिए एक ओर जहां क्रांतिकारियों ने अभियान चला रखा था,वहीं राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने भी देश की आजादी के लिए 29 अक्टूबर 1942 में असहयोग आंदोलन की अलग जगानें वे हापुड़ के असौड़ा महल में आए थे,जहां उन्होंने असौडा के राजा चौधरी रघुवंशनरायण त्यागी के महल पर जनसभा कर आजादी के लिए लोगों को जागरूक कर असहयोग आंदोलन में भाग लेनें के लिए प्रेरित कर रात को महल में ही रूक रात्रि विश्राम किया था। उनके साथ राजगोपालाचारी, मौलाना आजाद भी मौजूद थे।
उनकी यात्रा मेरठ से फफूंडा, खरखौदा और असौड़ा आदि गांवों से होते हुए गाजियाबाद पहुंची थी। इस दौरान लोनी में नमक के पैकेट बांटे गए थे।
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अंग्रेजों की तरह हमारे पास भी एक राजा
महात्मा गांधी पहली बार वर्ष 1930 में असौड़ा रियासत में आए थे। इस दौरान वह कुछ देर ही चौधरी रघुवीर नारायण सिंह के पास रुके थे। महात्मा गांधी चौधरी रघुवीर नारायण सिंह का अपना मित्र मानते थे। महात्मा गांधी ने मुंबई की एक सभा में कहा था कि ‘ यदि अंग्रेजों के पास तमाम राजा हैं, तो हमारे पास भी एक राजा है चौधरी रघुवीर नारायण सिंह।
इस बात का उल्लेख भी मुंबई के अखबारों में मिलता है।
रघुवीर नारायण सिंह के पौत्र अजय वंश नारायण सिंह बताते हैं कि हम छोटे थे। महात्मा गांधी बाबाजी चौधरी रघुवीर नारायण सिंह को बहुत प्यार करते थे। वह जब आते थे, तो कई बार महल में रुकते थे। बाबाजी ने महात्मा गांधी के सपना को पूरा करने के लिए हर कदम उठाया था।

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1935 में गांधीगंज में की थी जनसभा

1935 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हापुड़ के गांधी गंज में आए थे। महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता सेनानियों की मीटिंग लेकर उनको आजादी का मंत्र दिया था।लोगों का कहना है कि जिस स्थान पर महात्मा गांधी आए थे उसको आज गांधी गंज के नाम से पुकारा जाता है।

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