हापुड़।
37 देशों में कार्यरत विश्व की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य भारती की जनपद हापुड़ की इकाई द्वारा राष्ट्र के सम्मान में *सिंदूर तिरंगा पराक्रम* वृहद काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता हिन्दी साहित्य भारती के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री सुविख्यात कवि एवं साहित्यकार प्रोफेसर वागीश दिनकर ने की।मुख्य अतिथि जिला सहकारी बैंक गाजियाबाद के पूर्व चेयरमैन चौधरी हरिराज सिंह रहे तथा काव्य गोष्ठी को डा.अशोक मैत्रेय जी का विशेष सान्निध्य प्राप्त हुआ।गोष्ठी का संचालन संस्था के जिलाध्यक्ष ,वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि दिनेश त्यागी ने किया। श्रीमती साधना गुप्ता शास्त्री ने संस्कृत में सरस्वती वंदना पढ़ी ।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर वागीश दिनकर ने पढ़ा__”कौन कहता है तुम्हारा पुछ गया सिंदूर देवी।सूर्य मंडल को गया है भेदकर वह राष्ट्र सेवी।।” डा.अशोक मैत्रेय ने पढ़ा__”अस्थियां समिधा बनाईं आहुति दी रक्त की,थी अजब सी साधना मातृ भू के भक्त की। आंख में ले ज्वाला जागे अब जवान देश की थी जरूरत है जरूर आज भी तो वक्त की।।” वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि राज चैतन्य ने पढ़ा___”मेरे पैरों का लहू,पीएं तो पी लें शौक से।क्या मजाल कांटों की है जो रोकें रास्ता मेरा।।” संचालन करते हुए जिलाध्यक्ष , वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि दिनेश त्यागी ने पढ़ा__”जब शेरों के आगे गीदड़ आंख दिखाने लगते हैं, अपनी हद में न रहकर औकात दिखाने लगते हैं। तब शेरों को आगे बढ़कर कदम उठाना पड़ता है ,दुश्मन को दुश्मन के घर में सबक सिखाना पड़ता है।।”वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार विजय वत्स ने पढ़ा__”सरफरोशी की तमन्ना है तो सर पैदा करो। दुश्मन ए इंसानियत के दिल में डर पैदा करो ।।” वरिष्ठ कवि रामवीर आकाश ने पढ़ा__”बादलों से बूंद क्या गिरी,चांदनी के फूल खिल गए।सावनी बहार में सभी काले काले मेघ धुल गए।।” संस्था के महामंत्री वरिष्ठ कवि डा.ओमपाल सिंह ने पढ़ा__नाम पाक है इसका पर नापाक चाल ये चलता है। गिरगिट से भी ज्यादा ये तो उनके रंग बदलता है।।”कार्यक्रम के आयोजक कवि प्रभात शर्मा ने पढ़ा__”को बता दिया मानवता मजहब हमारा। जियो और जीने दो सिद्धांत हमारा।।”कवयित्री पूनम शर्मा ने पढ़ा__”हर बेटी लक्ष्मीबाई है हर माता जीजाबाई है। अब तुम ही बनोगे भगत सिंह मैं हिंद फौज बनाने आई हूं।। मैं भारत की बेटी हूं मैं उन्हें बताने आई हूं ।मैं जोश जगाने आई हूं मैं अलख जगाने आई हूं।।”वरिष्ठ कवि पुष्पेंद्र पंकज ने पढ़ा__”यह भी अपना वह भी अपना,कहने को अपना जहां है।अपनों को ही भीड़ में, मैं ढूंढता अपना कहां है।। वरिष्ठ कवि एवं कथावाचक अशोक प्रयासी ने पढ़ा_कुछ ना तेरा यहां शेष होगा।जिस दिन मलिक का आदेश होगा।।” कोषाध्यक्ष कपिल वीर सिंह ने पढ़ा__”अगर तू आदमी है तो आदमी को साथ लेकर चल।”वरिष्ठ कवयित्री मुशर्रफ चौधरी ने पढ़ा__”भाव स्वभाव के पाठ में, मैं अक्षर अनमोल।नबी मेरा इतिहास है, कृष्णमेरा भूगोल।। वरिष्ठ कवि महेश वर्मा दिव्यमणि ने पढ़ा__” कुचल डालो फनो को मुल्क में जो नाग बैठे हैं। कि गद्दारों के मरने से वतन खाली नहीं होता।।” वरिष्ठ कवि पंडित शिव प्रकाश शिव ने पढ़ा__”आशाओं पर ग्रहण है सपनों पर पहरा लगा हुआ।भरा नहीं जो जख्म अभी जो दिल पर गहरा लगा हुआ।।”वरिष्ठ कवि अमर चौहान ने पढ़ा __”कदम संभाल कर रखना जनाब पानी में।”वरिष्ठ कवि महेश उत्पल ने पढ़ा __
“पहलगाम में धर्म पूछ कर सर पर गोली मारी है। बेगैरत ,नापाक पाक से मानवता भी हारी है।।” कवयित्री अनीता चौधरी ने पढ़ा__”मुद्दत बाद मिले हम और उसने कहा तुझे भूल जाना चाहती हूं मैं।आंसू आ गए आंखों में यह सोचकर कि इसे अब तक याद हूं मैं।। कवि संजय कंसल ने पढ़ा__”हाथ पर चला नहीं सकता गले तक धंसा है।कुचक्रों के दलदल में आज आदमी फंसा है।।”
मुख्य अतिथि पूर्व चेयरमैन जिला सहकारी बैंक गाजियाबाद ने कविता का मनुष्य के जीवन में पड़ने वाले महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर श्रीमती कुमुद शर्मा नोएडा महानगर प्रभारी, महिला मोर्चा,मनोज सिंह नागर राष्ट्रीय महासचिव भारतीय किसान यूनियन, श्याम सिंह त्यागी ,जिला उपाध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन आदि उपस्थित रहे।
कौन कहता है तुम्हारा पुछ गया सिंदूर देवी। सूर्य मंडल को गया है भेद कर वह राष्ट्र सेवी – प्रो.वागीश दिनकर
