गांव में वितरित कराए पेंफलेट, टीबी की जांच कराने में न हों लेट

हापुड़। शासन के निर्देश पर जिला क्षय रोग विभाग जनपद में क्षय रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार “जनांदोलन” कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। “जनांदोलन” के जरिये क्षय रोग के लिहाज से संवेदनशील बस्तियों और गांवों का चयन किया गया है। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में क्षय रोग विभाग की टीम शनिवार को सिंभावली ब्लॉक के वैट गांव में पहुंची। ग्राम प्रधान और अन्य मुअज्जिज लोगों से डीटीओ ने पहले ह‌ी संपर्क करके गांव के पंचायत घर में बैठक की तैयारी का आग्रह किया था, सो गांव वाले भी तैयार थे। गांव के बड़े बुजुर्गों के अलावा कुछ महिलाएं भी पंचायत घर पहुंचीं। डीटीओ ने पहले विस्तार से क्षय रोग के बारे में जानकारी दी और लक्षणों से भी ग्रामीणों को अवगत कराया। साथ ही लक्षण आने पर नजदीकी क्षय रोग केंद्र पर जाकर जांच कराने की भी सलाह दी। इसके अलावा ग्रामीणों को पेंफलेट्स भी वितरित किए गए।
डीटीओ डा. सिंह ने ग्रामीणों को बताया- दो सप्ताह तक लगातार खांसी रहना, रात में सोते समय पसीने आना, बुखार रहना और वजन कम होना, यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें यदि कोई लक्षण आए तो नजदीकी टीबी केंद्र पर जाकर स्पुटम (बलगम) की जांच कराएं। स्वास्थ्य विभाग टीबी की जांच तो निशुल्क करता ही है, टीबी की पुष्टि होने पर उपचार भी निशुल्क है। उन्होंने ग्रामीणों को बताया क्षय रोग भी अन्य बीमारियों की ही तरह है, इसे छिपाएं नहीं। अब यह रोग पूरी तरह साध्य है, बशर्ते चिकित्सक की सलाह पर इसका पूर्ण उपचार लिया जाए। ध्यान रखें कि क्षय रोग का उपचार बीच में छोड़ देना जोखिम भरा हो सकता है। क्योंकि ऐसे में दोबारा उपचार शुरू करने पर दवाएं अपना काम नहीं करतीं और ऐसा रोगी मल्टी ड्रग रेसिसटेंट (एमडीआर) हो जाता है। उस स्थिति में उपचार और भी लंबा और जोखिम भरा हो जाता है। इसलिए एक बार उपचार शुरू होने पर चिकित्सक की सलाह पर दवा छोड़ें, बीच में नहीं।

कार्यक्रम में मौजूद जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया टीबी की पुष्टि होने पर मरीज को मॉस्क का इस्तेमाल करना चाहिए और घर के अन्य सदस्यों से दूरी बनाकर रहना चाहिए। दरअसल टीबी रोग सांस के जरिए फैलता है। इसलिए टीबी के खात्मे के लिए इसकी जल्दी पहचान और उपचार शुरू होना जरूरी है। सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) गजेंद्र पाल सिंह और एसटीएलएस रामसेवक ने टीबी के उपचार के बारे में ग्रामीणों को विस्तार से जानकारी दी।

Exit mobile version