हापुड़। कोहरे के साथ पड़ रहे पाले से आलू की फसल मुरझाने लगी है, झुलसा का खतरा बढ़ रहा है। किसानों ने दवाओं का छिड़काव शुरू कर दिया है। लेकिन खेतों में नमी ही आलू को पाले से बचा सकती है। इसके अलावा कोहरा छाने से सरसों फसल भी प्रभावित हो रही है। हालांकि गेहूं को इस मौसम में लाभ मिल रहा है।
बीते एक सप्ताह से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है, इन दिनों पाला भी पड़ने लगा है। गलन बढ़ने से लोगों का घरों में रूकना भी मुश्किल हो रहा है। फसलों को भी यह मौसम रास नहीं आ रहा। आलम यह है कि आलू की फसल झुलसा की चपेट में आ रही है। कई गांवों में आलू में यह बीमारी देखी गई है। कृषि अधिकारी किसानों को आलू के खेतों में नमी बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं। जिन खेतों में नमी बनी है, वहां फसलों को कम नुकसान हुआ है।
वहीं, सरसों की फसल में माहु कीट का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है। जिला कृषि अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि आलू में पत्तियों पर काले भूरे धब्बे हो जाएं तो समझे झुलसा है। इसके लिए मैकोजेब दो किलोग्राम प्रति हेक्टेयर को 1000 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें या ट्राइकोडर्मा 2.5 किग्रा0 को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें या सल्फर 80 फीसदी से छिड़काव करें तो इससे पाले और सर्दी से फसलों को राहत मिलती है।
वहीं, तिलहनी राई सरसों में माहू कीट फल, फूल, पत्ती, डालियों का रस चूसकर बहुत हानि करता है। यह हरा भूरा बहुत छोटा कीट होता है। इसके दिखाई देते ही इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत की 300 मिली मात्रा को 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करना चाहिए। यह कीट चना, मटर, मसूर व अन्य रबी फसलों में भी हानि करता है।
मटर की फसल में सफेद रंग का पाउडर सा पत्तियों पर आ जाता है जो उत्पादन को कम करता है। इसके लिए सल्फर 80 फीसदी की तीन किग्रा0 मात्रा प्रति हेक्टेयर को 1000 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। चना मटर में फली छेदक कीट के लिए बेउवारिया बसियाना .5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर गुड़ का घोल तैयार कर मिलाएं तब शाम को छिड़काव करें या ट्रायचोग्रामा कार्ड 5 प्रति हेक्टेयर को शाम को खेत में लगाएं। गेहूं में पत्तियों पर काली, पीली या भूरी गैरूई भी आ सकती है जो पत्तियों का पाउडर के रूप में लगी रहती है, इसके लिए मैंकोजेब 2 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर को 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।