हापुड़़।
हिंदी साहित्य परिषद के तत्वावधान में यहां एक ऑन लाइन कविसम्मेलन का आयोजन किया गया। अध्यक्षता प्रख्यात गीत , गजलकार प्रेम निर्मल ने की तथा संचालन सुप्रसिद्ध कवि डा अनिल बाजपेई ने किया।
प्रेम निर्मल ने पढ़ा, “नए वर्ष का सूरज निकले,सुख वैभव के साथ, कोरोना जैसे असुर का, हो न कहीं उत्पात।
मंच संचालन करते हुए डा अनिल बाजपेई ने पढ़ा,” सरल,सुबोध, सुशील हो,रक्खे मृदु व्यवहार!
नेता तुम उसको चुनो,जिसमें सद आचार!!
गीतकार महावीर वर्मा मधुर ने पढ़ा,
जिस घर पूरी मौज ली, उसे कहें बेकार ।
ऐसे नेता देश का , कर रहे बंटाधार ।
वरिष्ठ कवि राम आसरे गोयल ने पढ़ा,”
प्राण शंकित बड़ा निज व्यथा कहते कहते।
बन न जाएं जलधि ये नयन बहते बहते। बेखौफ शायर डा. नरेश सागर ने पढ़ा,”प्यार को पतझड़ उजाड़ नही सकता,उम्र को साबुन निखार नहीं सकता,अपनी उम्मीदों को जवां रहने दो,बुढ़ापा भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता,।
डा आराधना बाजपेई ने पढ़ा,”राधा हरि की शक्ति हैं, हरि राधा के प्राण,राधे राधे जो जपे, होय सदा कल्याण”डा निशा रावत ने पढ़ा,खोए खोए से लगते हो आजकल,ठीक ठाक तो हो,अपने ही गुमसुम में रहते हो,ठीक ठाक तो हो।
कवयित्री,शहवार नावेद ने पढ़ा,”मेरे दिल में जो एक बच्चा है,अब भी सांस लेता है,में उसका दिल धड़कने की कभी आवाज सुनती हूं,तो खुद को भूल जाती हूं,!अवनीत समर्थ ने पढ़ा,”बुझा दो सब चरागो को तुम्हारा नूर काफी है
यहाँ तुम हो यही हम हैं मेरे हुजूर काफी है!
डा पुष्पा गर्ग ने पढ़ा,”किसी की खूबसूरत सी, आंखों का नजारा है,
हमारा दिल तुम्हारा है , तुम्हारा दिल हमारा है । वरिष्ठ कवि शिव प्रकाश शर्मा ने पढ़ा,”बोझ दिल पर कुछ कम रखना
रंज रखना ना कोई गम रखना
जितनी सादगी से कटे जिन्दगी काट लेना
जहन में मैं नहीं हम रखना!