हाईकोर्ट : मनमाने तरीके से गिरफ्तार करना मौलिक व मानवाधिकार का उल्लंघन

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि किसी आपराधिक मामले में आरोपी बनाए गए व्यक्ति को लेकर अभिरक्षा में लेकर पूछताछ करना जरूरी हो तभी उसे गिरफ्तार किया जाए। प्राथमिकी दर्ज होते ही गिरफ्तार कर लेना मनमाना कार्य है और यह व्यक्ति के मौलिक अधिकारों तथा मानवाधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है। मनमानी गिरफ्तारी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की वजह बनती है।  

कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता मौलिक अधिकार है, जिसके हनन की छूट नहीं दी जा सकती। जहां पूछताछ के लिए अभिरक्षा में लेना जरूरी हो, वहीं आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी की जानी चाहिए। गिरफ्तारी अंतिम विकल्प होना चाहिए। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के जोगिंदर सिंह केस के हवाले से कहा कि दहेज उत्पीड़न के 60 फीसदी मामले अनावश्यक व अनुचित होते हैं।

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