सेल्फ फाइनेंस कोर्स के शिक्षक को मिलेगा मानकानुसार वेतन एवं एरियर, हाईकोर्ट के आदेश के बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ ने दिया शिक्षक के पक्ष में निर्णय

सेल्फ फाइनेंस कोर्स के शिक्षक को मिलेगा मानकानुसार वेतन एवं एरियर, हाईकोर्ट के आदेश के बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ ने दिया शिक्षक के पक्ष में निर्ण

अनुदानित महाविद्यालय के सेल्फ फाइनेंस कोर्स में कार्यरत शिक्षकों को विश्वविद्यालय के
निर्णय से बडी राहत

हापुड़।

एस. एस. वी. (पी. जी.) कॉलेज, हापुड़ में सेल्फ फाइनेंस कोर्स बी. कॉम में कार्यरत डॉ. अतुल गोयल के प्रकरण में दिए गए निर्णय में 6 सितम्बर 2024 को कुलसचिव, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा कॉलेज को जारी आदेश में शिक्षक को विश्वविद्यालय कार्य परिषद द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतनमान एवं पिछले वर्षो का एरियर देने का आदेश पारित किया गया है।
उक्त प्रकरण में शिक्षक द्वारा मानकानुसार वेतन दिए जाने के लिए कॉलेज को प्रार्थना पत्र दिया गया था।सुनवाई ने होने पर शिक्षक द्वारा हाईकोर्ट में रिट दायर की गई। जिस पर पिछले वर्ष 4 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट द्वारा आदेश पारित कर 2 माह की समय सीमा में विश्वविद्यालय को प्रकरण का निस्तारण करने के लिए आदेश दिया गया था। हाईकोर्ट के आदेश पर विश्वविद्यालय स्तर पर दोनों पक्षो की सुनवाई की गयी। विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार वादी शिक्षक ने सुनवाई के दौरान बी. कॉम. पाठ्यक्रम से होने वाली आय का 75 से 80 प्रतिशत वेतन पर खर्च करते हुए अपना मासिक वेतन निर्धारित करने और उसी दर से नियुक्ति तिथि से वेतन के एरियर की मांग की थी। जिस पर कॉलेज से विश्वविद्यालय को दिए गए जबाब में कहा गया कि सभी सेल्फ फाइनेंस कोर्स में शाशनादेश का पूर्णतया पालन किया जा रहा है तथा सेल्फ फाइनेंस कोर्स के छात्रों से प्राप्त होने वाली आय का 75 प्रतिशत से अधिक शिक्षकों एवं कर्मचारियों के वेतन पर खर्च किया जाता है। जिस पर वादी शिक्षक ने अपनी आपत्ति में कहा कि शासनादेश के अनुसार कॉलेज को प्रति वर्ष ऑडिट कराकर ऑडिट रिपोर्ट विश्वविद्यालय को प्रेषित करनी होती है।कॉलेज द्वारा आय-व्यय का विवरण जो विश्वविद्यालय को भेजा गया है उसका ऑडिट नहीं कराया गया है।वादी शिक्षक की आपत्ति के बाद 3 सत्रों के आय – व्यय की ऑडिट रिपोर्ट विश्वविद्यालय में प्रेषित की गयी।
वादी शिक्षक ने ऑडिट रिपोर्ट पर अपनी आपत्ति प्रेषित करते हुए कहा की ऑडिट दोषपूर्ण है जिसमे अज्ञात कर्मचारियों के वेतन मद में व्यय दिखाया गया है और छात्रों से प्राप्त आय को छिपाया गया है तथा ऑडिट वर्तमान सत्र में कराया गया जबकि ऑडिट रिपोर्ट तत्कालीन प्राचार्य द्वारा हस्ताक्षर किये गए है।वादी शिक्षक की आपत्ति पर इसकी पुष्टि पूर्व प्राचार्य डॉ0 सतीश कुमार से कराई गयी तो अपने द्वारा लिखित कथन में उन्होंने कहा की ऑडिट रिपोर्ट पर उनके हस्ताक्षर नहीं है और न ही ऑडिट रिपोर्ट उनके कार्यकाल की है ।जिस पर संज्ञान लेते हुए विश्वविद्यालय द्वारा मेडिकल थाना मेरठ में कॉलेज के विरुद्ध तहरीर दी गयी। जिसमे पुलिस की जांच जारी है। उक्त एफ आई आर को निरस्त कराने के लिये दायर रिट में पारित आदेश में एफ आई आर को निरस्त नही किया गया है तथा पुलिस को जांच पूर्ण करने के लिए आदेश दिये गए है।
एक वर्ष तक चली सुनवाई के बाद विगत 6 सितम्बर 2024 को विश्वविधालय ने शिक्षक के पक्ष में निर्णय देते हुए शिक्षक को कार्य परिषद द्वारा स्वीकृत निर्धारित न्यूनतम वेतनमान एवं उसी दर से 2 मई 2020 से वेतन एरियर देने का आदेश पारित किया।

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