हापुड़(अमित अग्रवाल मुन्ना)।
राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर डॉ पराग शर्मा ने कहा कि बहुत से लोगों के मन में ब्लड डोनेशन (रक्तदान) को लेकर दुविधा बनी रहती है। इसलिए लोग अक्सर ब्लड डोनेट करने से कतराते हैं, जबकि हकीकत यह है कि ब्लड डोनेट करने के तमाम फायदे हैं। इससे जहां एक तरफ जरूरतमंद की जान बचाई जा सकती है, वहीं खुद को भी तमाम तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है।
यह कहना है आरोग्य सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के चेयरमैन व वरिष्ठ चिकित्सक डा. पराग शर्मा कहते हैं कि ब्लड डोनेट करने के बाद आप पहले की तरह ही कामकाज कर सकते हैं। इससे शरीर में किसी भी तरह की कमी नहीं होती।
ये हैं ब्लड डोनेशन के फायदे
- ब्लड डोनेशन से हार्ट अटैक की आशंका कम हो जाती है। डॉक्टर्स का मानना है कि डोनेशन से खून पतला होता है, जो कि हृदय के लिए अच्छा होता है।
- एक नई रिसर्च के मुताबिक नियमित ब्लड डोनेट करने से कैंसर व दूसरी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है, क्योंकि यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है।
- ब्लड डोनेट करने के बाद बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है। इससे शरीर को नए ब्लड सेल्स मिलने के अलावा तंदुरुस्ती भी मिलती है।
- ब्लड डोनेशन सुरक्षित व स्वस्थ परंपरा है। इसमें जितना खून लिया जाता है, वह 21 दिन में शरीर फिर से बना लेता है। ब्लड का वॉल्यूम तो शरीर 24 से 72 घंटे में ही पूरा बन जाता है।
इसलिए जरूरी है रक्तदान
- ब्लड डोनेट कर एक शख्स दूसरे शख्स की जान बचा सकता है।
- ब्लड का किसी भी प्रकार से उत्पादन नहीं किया जा सकता और न ही इसका कोई विकल्प है।
- देश में हर साल लगभग 250 सीसी की 4 करोड़ यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है, जबकि सिर्फ 5,00,000 यूनिट ब्लड ही मुहैया हो पाता है।
- हमारे शरीर में कुल वजन का 7% हिस्सा खून होता है।
- आंकड़ों के मुताबिक 25 प्रतिशत से अधिक लोगों को अपने जीवन में खून की जरूरत पड़ती है।
और साथ ही साथ पराग शर्मा ने श्रीनगर सुधार समिति 2006 के अध्यक्ष राजकुमार शर्मा मैं उनकी रक्तदान महादान के सभी सदस्यों को बधाई दी।
जो 24 घंटे किसी भी मजहब, कोई भी ब्लड ग्रुप के एमरजैंसी मरीज को ब्लड उपलब्ध कराने में तत्पर रहते हैं और अब तक सैकड़ों जिंदगी बजा चुके हैं।