हापुड़ में आयोजित हुआ विहिपषष्टी पूर्ति वर्ष समापन/स्थापना दिवस, गिरीश त्यागी सहित अन्य ने किया सम्मान

हापुड़ । विश्व हिन्दू परिषद् षष्टी पूर्ति वर्ष समापन/स्थापना दिवस कार्यक्रम नगर हापुड में हिन्दू सम्मेलन आयोजित हुआ ।

मुख्य व्यक्ता दिनेश उपाध्याय (केन्द्रीय मंत्री विहिप अखिल भारतीय गौरक्षा प्रमुख) ने कहा किश्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विश्व हिन्दू परिषद के ध्येययात्रा के 60 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। विश्व हिंदू परिषद हिन्दू जीवनमूल्यों,परम्पराओं, मानबिन्दुओं के

प्रति श्रद्धा रखने वाली विश्व के कल्याणार्थ “अजेय हिन्दू शक्ति” खड़ी करेंगा
सबसे पहले
1966 में प्रयागराज के महाकुम्भ में परिषद द्वारा आयोजित प्रथम विश्व हिन्दू सम्मेलन संभवतः महाराज हर्ष के बाद हिन्दू का हिन्दू जीवनमूल्यों की रक्षा के संकल्प के उद्देश्य से महाकुम्भ में सबसे विराट एकत्रीकरण हुआथा। जिसमे देश विदेश से हिन्दू को हिन्दू के नाते खड़ा करने के दृढ़संकल्प लेकर उमड़ी हिन्दू जन शक्ति, मंच का नयनाभिराम दृश्य,हिन्दू समाज ने वर्षों बाद देखाथा
तथा
1969 उडूपी कर्नाटक,मे
पूज्य संतों द्वारा हिन्दू समाज में पराधीनता के लम्बे कालखण्ड के दुष्परिणाम से व्याप्त अश्पृश्यता के विरुद्ध
प्रस्ताव स्वीकार हिन्दू समाज के लिये ऐतिहासिक क्षण,
पूज्य संतो का घोषणा करी की छुआछूत शास्त्रसम्मत नहींहै
जन्म के आधार पर कोई बड़ा नहीं कोई छोटा नहीं होता है
कोई पावन नहीं होता कोई अपवित्र नहीं होता,हम सब ऋषिपुत्र हैं भारतमाता की सन्तान हैं सहोदर भाई हैं, 1981तमिलनाडु प्रदेश के रामनाथपुरम जिले में मीनाक्षीपुरम गांव में हिन्दू समाज के सामुहिक इस्लाम पंथ में धर्मांतरण के बाद परिषद ने
देश में एक व्यापक जागरण का अभियान चलाया
“संस्कृति रक्षा निधि अभियान”व्यापक जागरण और
” सेवा निधि ” का एकत्रीकरण जिसके माध्यम से देश के गिरिवासी और वनवासी क्षेत्र में सेवकार्यों की एक लंबी श्रृंखला आरम्भ हुई।
1983 भाषा और प्रान्त के नाम पर संघर्ष खड़ा करने का प्रयत्न पूरे देश में चल रहा था,आर्य और द्रविड़ , हिन्दी भाषी और गैर हिंदी भाषी जैसे विषय उठाकर हिन्दू समाज कीएकता को तार-तार करने का दुष्प्रयत्न चल रहा था ऐसे कठिन और चुनौती भरे काल में परिषद ने”एकात्मता यात्रा “के नाम से एक अभिनव कार्यक्रम किया। उत्तर से दक्षिण,पूर्व से पश्चिम सम्पूर्ण देश की श्रद्धाकेन्द्र भारतमाता के विग्रह तथा विशाल कुम्भों में अवस्थित पवित्र गंगामाता रथारूढ़ निकल पड़ीं,अपने सुप्त, आपस में संघर्षरत तथा आत्मगौरव को विस्मृत कर चुकेअपने कोटि कोटि पुत्रों को जागृत करा
फिर
7 अक्टूबर 1984 रामजी की नगरी श्रीअयोध्या जी
सरयू मैया का पावन तट एकत्रित हुआ रामभक्तों का जनज्वार, पूज्य सन्तों के साथ उपस्थित रामभक्तो ने संकल्प लिया रामजी की नगरी में सरयू के पावन तट
पर रामलला की जन्मभूमि में रामलला के भव्य मन्दिर को तोड़कर आक्रांता बाबर द्वारा बनाई गई इमारत में ताले में बंद रामलला को मुक्त करा भव्य मंदिर के निर्माण का,विश्व हिन्दू परिषद ने आरम्भ किया पूज्य संतो के आदेश से, विश्व का सहस्त्राब्दी का सबसे बड़ा अहिंसक जनान्दोलन”श्री राम जन्मभूमि आंदोलनचलाया अंततः हिन्दू शक्ति के सामुहिक जागरण का सुपरिणाम हम सबके जीवनकाल में आया रामलला के भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ राष्ट्रीय सेभीमान के पुनर्प्रतिष्ठा का एक चरण पूर्ण हुआ।
भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य दिवस पर परिषद की स्थापना एक दैवी संयोग ही था,श्रीकृष्ण के अवतार के कालखण्ड में देश की परिस्थिति और परिषद के स्थापना के समय देश की स्थिति में अनूठा साम्य दिखता है ।
-हिन्दू समाज के सम्मान के प्रत्येक संघर्ष में परिषद का अनूठा योगदान रहा है
अमरनाथ यात्रा का पुनर्जीवन,रामसेतु आन्दोलन,गऊ रक्षा और गऊ संवर्धन।
-महर्षि देवल,परशुरामाचर्य,स्वामी रामानन्द तथा स्वामी दयानन्द की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए परिषद अपने स्थापना काल से ही धर्मान्तरित बंधुओं के घर वापसी के सत्कार्य में लगा हुआ है ।

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