हापुड़ (अमित अग्रवाल मुन्ना)।
एसएसवी पीजी कॉलेज हापुड़ के रसायन विज्ञान विभाग के डॉ संगीता अग्रवाल तथा डॉ मानवेंद्र सिंह बघेल द्वारा हापुड़ की वायु के प्रदूषकों के स्तर का अध्ययन किया गया।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली द्वारा प्रदूषकों का आकलन के पश्चात मानदंड तैयार किया गया जिसका चित्रण निम्न प्रकार है
वर्ण कोड वर्ग एकक्यूआई स्वास्थ्य पर संभावित प्रभाव
गहरा हरा अच्छा 0 – 50 नगण्य प्रभाव
हल्का हरा संतोषजनक 51 – 100 संवेदनशील लोगों को सांस लेने में तकलीफ
पीला मध्यम 101 – 200 सांस लेने में तकलीफ हृदय तथा स्वसन संबंधी बीमारियां, हृदय रोग
हल्का भूरा खराब 201 – 300 चिल्का लेक संपर्क से सांस लेने में तकलीफ
लाल बहुत खराब 301 – 400 चिल्का लेक संपर्क से श्वसन संबंधी बीमारी
गहरा लाल गंभीर 401 – 500 पहले से बीमार लोग विशेषतः प्रभावित
शहर की वायु मे उपस्थित कौन-कौन से प्रदूषक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल रहे हैं, इसके लिए हापुड़ शहर के आनंद विहार मे वायु प्रदूषण निगरानी उपकरण/स्टेशन लगाया हुआ है। वास्तविक समय में बहुलता से पाए जाने वाले प्रदूषक PM 2.5, PM 10, ओजोन, NO2, SO2 तथा CO की सान्द्रता को बताती है। ये निगरानी स्टेशन मुख्य छह प्रदूषण के 1, 8 और 24 घंटे के औसत मान के साथ साथ अन्य मौसम संबंधी पैरामीटर जैसे हवा की दिशा, हवा की गति, सांद्रता, तापमान, आद्रता, सूर्य द्वारा विकिरण, तथा अन्य वायु गुणवत्ता पैरामीटर प्रदान करता है।
रिपोर्ट तैयार करने तक आज 16 नवंबर दोपहर 2 बजे वायु में लगभग PM 2.5 की औसत, निम्नतम, उच्चतम सांद्रता 118, 33, 189 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब है। PM 10, 53 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब है। ओजोन की सांद्रता औसत-12, निम्नतम-7 व उच्चतम -15 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब। NO2 की सांद्रता औसत- 17, निम्नतम-4 व उच्चतम-41 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब तथा SO2 की सांद्रता औसत-42, निम्नतम- 16 व उच्चतम 71 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब रही। 16 नवंबर 2022 को दोपहर 2:00 बजे AQI- 118 प्रदर्शित की गई है, जोकि रेंज 100 से 200 (मध्यम श्रेणी) के बीच आता है।
उपरोक्त वायु प्रदूषकों का डाटा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट से साभार लिए गये हैं। इस AQI रेंज में लंबे समय तक संपर्क में रहने से सांस लेने में तकलीफ, श्वसन व हृदय रोग होने की संभावना देखी गई है। प्रदूषकों का स्तर अक्सर स्थानीय पर्यावरण, यातायात का आकार, मौसम तथा भवनों की तोड़फोड़ पर ज्यादा निर्भर करता है। इस प्रकार की गतिविधियों से वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। महाविद्यालय में अध्ययनरत कुछ विद्यार्थियों से इस संबंध में बात करने पर पता लगा कि शिवम् जो कि बीए के छात्र हैं, बुलंदशहर रोड से आते हैं, वह आँखों में जलन व धूल के कारण सांस लेने में दिक्कत महसूस करते हैं। हृदेश यादव जोकि प पिलखुवा से आते जाते हैं, वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण आंखो में जलन महसूस करते हैं। अन्य विद्यार्थियों का भी वायु प्रदूषण के कारण इसी प्रकार की दिक्कतें महसूस की गई।
दोनों प्रोफेसरों को कहना है कि हमें अपने आसपास लोगों को वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जागरूक करते रहना चाहिए तथा उनको इससे बचने के भी उपाय बताये जाने चाहिए क्योंकि दूषित वायु दिन प्रतिदिन आयु को कम कर रही है।