रिलायंस पावर प्रोजेक्ट में 500 किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस कराने और जमीन की फर्द में नाम अंकित कराने की मांग को लेकर केन्द्रीय मंत्री से मिलें किसान, मिला आश्वासन

रिलायंस पावर प्रोजेक्ट में 500 किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस कराने और जमीन की फर्द में नाम अंकित कराने की मांग को लेकर केन्द्रीय मंत्री से मिलें किसान, मिला आश्वासन

हापुड़

हापुड़।2004 में रिलायंस पवर प्रोजेक्ट के लिए 25 सौ एकड़ जमीन का अधिग्रहण के विरोध में 500 किसानों पर दर्ज मुकदमे
वापस कराने और जमीन की फर्द में नाम अंकित कराने की मांग को लेकर केन्द्रीय मंत्री से किसानों का प्रतिनिधिमंडल मिला। केन्द्रीय मंत्री ने किसानों को जल्द समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है।

महाराणा संग्राम सिंह किसान कल्याण समिति के महासचिव युधिष्ठर सिंह सिसोदिया ने बताया कि समिति लंबे समय से किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने और जमीन की फर्द में नाम दर्ज कराने के लिए संघर्ष कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कराने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री से पूर्व में आग्रह किया था। लेकिन अभी तक वार्ता नहीं हो पाई है।

उन्होंने बताया कि किसानों ने केंद्रीय राज्यमंत्री को ज्ञापन देकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से मिलने के लिए समय लेने का आग्रह किया है। केंद्रीय राज्यमंत्री ने मुलाकात कराने और शीघ्र समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है।
इस मौकें पर समिति अध्यक्ष मंगू सिंह राणा, युधिष्ठर सिंह सिसोदिया, राकेश सिसोदिया, डा. जयपाल सिंह, प्रेमपाल सिंह, गुड्डू शर्मा, चमन सिंह शामिल रहे।

यह है मामला :
प्रदेश सरकार ने रिलायंस पवर प्रोजेक्ट के लिए गत 2004 में तहसील क्षेत्र के धौलाना, देहरा, बझैड़ा खुर्द, जादौपुर, ककराना, बहरमदपुर, नंदलालपुर गांव की करीब 25 सौ एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। जिसका किसानों द्वारा विरोध किया गया था। इसी विरोध के चलते गत आठ जुलाई 2006 किसान और पुलिस आमने-सामने आ गई थी। जिसके बाद पांच सौ किसानों को नामजद करते हुए हजारों के खिलाफ पिलखुवा, हाफिजपुर, धौलाना और मसूरी थाने में 22 से अधिक मुकदरे दर्ज कराए गए थे। 2014 में उच्चतम न्यायालय ने अधिग्रहण को अवैध करार देते हुए किसानों के नाम फर्द में अंकित करने के आदेश दिए थे। इधर मुकदमा वापस नहीं होने एवं किसानों के कोर्ट नहीं पहुंचने पर पिछले दिनों पुलिस ने न्यायालय के आदेश पर नामजद लोगों के घर कुर्की नोटिस भी चस्पा किए थे।

 

 

 

 

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