हापुड़ ब्लॉक के प्रधानों का किया गया टीबी के प्रति संवेदीकरण

चौथे चरण में हापुड़ ब्लॉक के प्रधानों का किया गया संवेदीकरण
टीबी के लक्षण, जांच और उपचार की दी गई जानकारी

हापुड़.। चौथे चरण में बृहस्पतिवार को हापुड़ ब्लॉक में नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों का प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला क्षय रोग विभाग की ओर से ग्राम प्रधानों का टीबी के प्रति संवेदीकरण किया गया। इससे पहले तीन चरणों में सिंभावली, धौलाना और गढ़ मुक्तेश्वर ब्लॉक में संवेदीकरण कार्यक्रम हो चुका है।
बृहस्पतिवार को हापुड़ ब्लॉक में हुए संवेदीकरण कार्यक्रम में जिला क्षय रोग विभाग से जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने टीबी के बारे में जानकारी देते हुए शुरूआती लक्षणों की पहचान, टीबी की जांच और टीबी के उपचार के संबंध में विस्तार से बताया। 15 दिन से अधिक खांसी रहने पर, बलगम के साथ खून आने पर और शरीर का वजन गिरने पर टीबी की जांच अवश्य कराएं। उन्होंने कहा कि सभी ग्राम प्रधान संबंधित गांवों में टीबी से मिलते जुलते लक्षण वाले लोगों को टीबी की जांच कराने के लिए प्रोत्साहित करें। क्षय रोग विभाग की ओर से टीबी की जांच और उपचार निशुल्क किया जाता है। इसके साथ उपचार जारी रहने तक सरकार की ओर से टीबी पीड़ित के बैंक खाते में हर माह पांच सौ रूपए का भुगतान किया जाता है।

पीपीएम समन्वयक ने संवेदीकरण कार्यक्रम के दौरान कहा कि टीबी को छिपाएं नहीं। यह किसी को भी हो सकती है और नियमित उपचार के बाद टीबी पूरी तरह से ठीक हो जाती है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में एडीओ पंचायत संजय सिंह, डीपीआरसी हरकीरत सिंह, मास्टर ट्रेनर प्रियंका सिंह और आशुतोष शर्मा की मुख्य भूमिका रही।

आयुष्मान भारत दिवस : सभी ब्लॉकों में हुए कार्यक्रम

मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) कार्यालय के साथ जनपद में सभी चारों ब्लॉकों में बृहस्पतिवार को आयुष्मान भारत दिवस का आयोजन किया गया। तीन वर्ष पूर्व 23 सितंबर को आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई थी। इस उपलक्ष्य में योजना के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। इस मौके पर जहां आयुष्मान भारत योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई, वहीं कार्यक्रम में आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. केपी सिंह, एसीएमओ (आरसीएच) डा. प्रवीण शर्मा, आयुष्मान भारत योजना के जिला कार्यक्रम समन्वयक डा. मारूफ चौधरी और शिकायत प्रकोष्ठ प्रभारी कंचन दोहरे आदि मौजूद रहीं।

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