हापुड़। ज्ञानलोक निवासी प्रकृति प्रेमी अनिल अग्रवाल ने अपने बगीचे में गुलाब की 200 से ज्यादा प्रजातियां लगाई हैं। हर पौधे की विशेषता यह है कि इसमें हर फूल और सुगंध भिन्न है। शहर के तीन प्रमुख मंदिरों में भगवान का श्रृंगार यहां के फूलों से होता है। कई बार वृंदावन तक भी गुलाब भेजे जाते हैं। यह कार्य वह निःस्वार्थ और निःशुल्क ही कर रहे हैं।
अनिल अग्रवाल ने बताया कि उनके पिता गुलाब प्रेमी थे। इसी परम्परा को आगे बढ़ा रहे है। उनका उद्देश्य इस खेती से पैसा कमाना नहीं है, बल्कि गुलाब की ऐसी प्रजातियां अपने पास रखना है जो देश-विदेश में भी विख्यात हैं। बंगलूरू, कोलकाता समेत अन्य कई राज्यों से अब तक 200 से ज्यादा प्रजातियों के पौधे मंगा चुके हैं।
इसमें गुलाब की बंजारा, सुरकाब, डबल डिलाइट, पैराडाइज, मोटेजूमा, लेडोरा, क्रिश्चयडोयर, भीम, आईपी प्राइस, लेडी एक्स, ब्लू मून, सुपर स्टार, प्रिस्टीन, क्वीन एलीजाबेथ, क्यूबेक शामिल हैं। इस मौसम में इन्हीं फूलों से मंदिरों में प्रभु का श्रृंगार होता है। गर्मियों में रजनीगंधा, गुलाब, कमल से श्रृंगार किया जाता है।
उन्होंने बताया कि पिछले दस सालों से शहर के प्रमुख चंडी मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, राधा वल्लभ मंदिर में श्रृंगार के लिए यहीं से निःशुल्क गुलाब भेजे जाते हैं, इसके अलावा जब भी वृंदावन जाना होता है तब ठाकुर जी के दरबार में भी यहां के फूल सजाए जाते हैं। गुलाबों के साथ ही पौधों की अनेकों प्रजातियां उन्होंने अपने बगीचे में लगाई हुई हैं। देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ओखला ओमा गुलाब को सबसे अधिक पसंद करते थे, इस प्रजाति का गुलाब भी उनके यहां महक रहा था।