“हापुड़। ततारपुर स्थित गुरुकुल महाविद्यालय में स्वामी दयानंद सरस्वती जी की दो सौ वीं जयंती एवं 61 वें महोत्सव के उपलक्ष्य में एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डा राधे श्याम मिश्र ने की एवं मंच का संचालन सुप्रसिद्ध कवि डा अनिल बाजपेई ने किया।
मेरठ से पधारे कवि सुदेश दिव्य ने पढ़ा, ” तुम्हारे पास गर होते तुम्हें अपना बना लेते
भुलाना तो न बस में था मगर दिल में बसा लेते
हमारे ख्वाब में भी तुम अगर एक बार आ जाते
तुमसे जी भर गले मिलते और होली मना लेते।
दिल्ली से पधारे कवि जय सिंह आर्य ने पढ़ा,”
“महिलाओं के सशक्तिकरण में महर्षि दयानंद सरस्वती जी के प्रयास को कौन भूल सकता है
पीढ़ियों से जो थरर्थराई थी
आँख भी जिसकी डबडबाई थी
पुष्प अबला के मन को महकाने
दिव्य ऋषिवर बहार आई थी।”
सुप्रसिद्ध कवि डा अनिल बाजपेई ने पढ़ा,” मिलकर बांटें प्रेम हम, हरें सभी की पीर,युगों युगों से कह रहे ,रंग गुलाल अबीर”
“द्वेष बैर सब भूलकर,आओ बांटें प्यार,हमको यह सिखला रहा होली का त्यौहार”
शहादरा से पधारे शैल भदावरी ने पढ़ा,”पल में बात बतंगड़ कर दूं, बात पड़े अड़ सकती हूं।
लातें, घूंसा, थप्पड़ मारूं, चप्पल भी जड़ सकती हूं।
छाती ठोक लाल कर आंखें, सांच कहूं मेरी पत्नी,
है छप्पन की फिर भी बोले, लड़की हूं लड़ सकती हूं।”
राह मुश्किल है तो चलना क्या छोड़ दूं यारो
डगमगाऊं तो संभलना क्या छोड़ दूं यारो
दिल वो पत्थर सा ही रखते हैं तो रखें लेकिन
तुम बताओ मैं पिघलना क्या छोड़ दूं यारो
“फिरोजाबाद से आए कवि विष्णु उपाध्याय ने पढ़ा,
“जाओ जाओ लाल मेरे रण क्षेत्र मध्य तुम
निहत्थे भी हो जाओ तो सर न झुकाना तुम
शत्रु दल सामने हो पीठ जो दिखाओ गर
गांव आके लल्ला यहां मुँह न दिखाना तुम”काव्य पाठ करते हुए डा राधेश्याम मिश्र ने इस प्रकार पढ़ा जिन्दगी मे सभी की एक ही कहानी है , कहीं पर धूप छांव और आग पानी है, कौन जीता है बाजी और कौन हारा है ,प्यार कर ले ओ पगले काया आनी जानी है।
मुरैना से पधारे कवि रामौतार शर्मा ने भी काव्य पाठ करके समा बांध दिया।
अध्यक्ष चौधरी शीशपाल एवं प्राचार्य प्रेमपाल शास्त्री ने सभी कवियों को शॉल ओढ़ाकर एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।
प्राचार्य प्रेमपाल शास्त्री ने कहा कवि समाज को दिशा देने का कार्य करते हैं।
इस अवसर पर कुशलदेव,शिव कुमार,भगतराम, रविंदर जी,मूलचंद तोमर, मनोज त्यागी उपस्थित थे।