हापुड़। वर्ष 1983 में लुधियाना से आकर रामगढ़िया (विश्वकर्मा) समाज के सरदार कन्हैया सिंह अपने परिवार के साथ आकर हापुड़ बसे। उस दौरान हापुड़ शहर का क्षेत्रफल कम था तथा यहां कोई बाद उद्योग नहीं था तथा अनाज मंडी के रूप में पहचान थी।
कन्हैया सिंह के तीन बेटियाँ तथा चार पुत्र स्व.सरदार दलीप सिंह स्व.सुच्चा सिंह स्व.मलकीत सिंह स्व.गुरदेव सिंह थे। सभी भाई बड़े मेहनती थे और एक दूसरे का बड़ा सहयोग करते थे। सभी भाइयों ने 1943 से 1952 तक अपने भाइयों के साथ मिलकर सिंचाई के लिए रहट और चार काटने की मशीन बनाने का कार्य किया। 1952 में स्व. गुरदेव सिंह ने अपने बड़े भाइयों के सहयोग से सलाई मशीन और उसके पुर्ज़े बनाने के लिए सरदार इंडस्ट्री की स्थापना की। इनका ब्रांड पूरे देशभर में प्रसिद्ध हो गया तथा सैकड़ों लोगों को रोज़गार मिलने लगा तथा गजरौला में बड़े स्तर पर खेती होटल और पेट्रोल पंप आदि कार्य भी थे।
उनके पौत्र एकलव्य सिंह सहारा बताते हैं कि सभी के प्रियास से सरदार इंडस्ट्री के परिसर में संत ईशर सिंह जी महाराज राडा साहिब वालों के आश्रम का निर्माण भोरा साहिब नाम से व परिवार के सहयोग से किया। दादा स्व. सरदार गुरदेव सिंह को सभी छोटे सरदार जी के नाम से सभी जानते थे।
उन्हें भारत के भूतपूर्व उप-राष्ट्रपतिरी बासप्पा दानप्पा जत्ती जी द्वारा उनके कर्मनिष्ठा और सफल उद्योग को स्थापना के आधार पर उद्योग पत्र देकर 1978 में सम्मानित किया गया और और स्व. रणजीत कौर दादी जी 1965 में तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी व दीदी ने मंच साझा करते हुए युद्ध पीड़ित महिलाओं को सिलाई मशीन भेंट कि। पिता स्व. अमरजीत सिंह जी ने भारत के भूतपूर्व सातवें प्रधानमंत्री विश्वनाथ सिंह प्रताप जी के साथ कई बार मंच साझा कर कार्य किया। परिवार के आमंत्रण पर देश के प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू, स्वर्गीय राष्ट्रीयपति ज्ञानी ज़ैल सिंह, स्वर्गीय ग्रह मंत्री बूटा सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री स्वर्गीय प्रताप सिंह कैरो, समेत कई केंद्रीय मंत्री यहां पधारे।
मेरे अपने राजनेतिक गुरु हापुड़ के चार बार के विधायक गजराज सिंह जी हैं और मेरे लिये बड़ी सौभाग्य की बात हैं इंटरनेशनल किसान नेता भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत जी के आशीर्वाद से बड़ी बड़ी पंचायत Sep, 2021 मुज़फ़्फ़रनगर Nov, 2021 मुंबई Jan, 2023 ज़िंद हरियाणा आदि सभी में मंच पर रहने और सीखने का अवसर मिला और भारतीय किसान यूनियन मेरे लिये एक संगठन नहीं परिवार हैं जिसे में कभी नहीं छोड़ सकता। में हमेशा सेवा के रूप में इसमें कार्य करता रहूँगा। मुझे किसानों मज़दूरों युवाओं के बीच जाना अच्छा लगता हैं और मुझे मेरे पारिवारिक राजनेतिक सामाजिक संबंधों का हमेशा आशीर्वाद मिलता रहा हैं।