लगातार गिर रहे जल स्तर के बावजूद जल की बर्बादी बढ़ी
गिरता भूगर्भीय जल स्तर भविष्य की चिन्ता फिर भी जल बर्बादी पर रोक नहीं
जोहड़ तालाब में पशु मिटाते थे गर्मी अब सैकड़ों लीटर समरसेविल के पानी से राहत नहीं
हापुड़।। गर्मी के मौसम में पशु जोहड़ तालाब में गर्मी की तपिश को कम करते थे। जोहड़ तालाब में पशु घंटों तक रहकर अपनी थकान मिटाकर अच्छा महसूस करते थे। अब समरसेविल के सैकड़ों लीटर पानी से भी पशुओं को नहाने पर गर्मी से राहत नहीं मिल पाती है। जोहड़ तालाब जो काम करते थे अब सैकड़ों लीटर पानी की बर्बादी से भी पूरा नहीं हो पा रहा है जबकि भूगर्भीय जल स्तर लगातार गिरने पर पानी की बर्बादी से भविष्य की चिन्ता बहुत ज्यादा बढ़कर गम्भीर बन रही है। जन मानस अपनी एक बाल्टी के काम को समरसेविल चलाकर सैकड़ों लीटर पानी बर्बाद करेंगा तो अपने बच्चों को पीने के लिए क्या देगा बड़ा सवाल है।
जल के बिना जनजीवन नामुमकिन—
जल ही जीवन है यह कोई छोटा शब्द नहीं है बल्कि बहुत बड़ा संदेश है जिसे हर मानव हल्के में लेकर पानी की बर्बादी में लगा है। कोई भी जीवधारी बिना पानी के बच नहीं सकता है। ऐसे में प्रदूषण को भी कम करने के लिए अब पानी के छिड़काव की जररुरत पड़ने लगी है।
देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश पर नहीं हुआ अमल—-
देश की सर्वोच्च अदालत ने वर्ष 2005 में बेचे लाल बनाम सरकार में गिरते भूगर्भीय जल स्तर पर चिन्ता व्यक्त करते हुए तालाब जोहड़, नदी नालों को कब्जामुक्त कर प्राकृतिक रुप देने के आदेश दिये थे। गिरते जल स्तर पर सुप्रीम कोर्ट की चिन्ता के आदेश सत्ता से जुड़े असरदारों की भेंट चढ़ गये।
कागजों में सिमट रहे है जोहड़ तालाब—
गांवों में बड़े बड़े तालाब होते थे तालाबों में गांव का अवशेष पानी सहित बरसात का पानी संचय होता था। अब जोहड़ तालाब अवैध कब्जे होकर छोटे हो गये जो खरपतवार से अटे हुए है पानी संचय की क्षमता भी समाप्त हो चुकी है।