माता की पीड़ा से पूरित एक पत्र सुनाने आया हूं_ प्रो.वागीश दिनकर,काव्य गोष्ठी हुई आयोजित

हापुड़।
अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य भारती जनपद_ हापुड़ की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन अयोध्यापुरी में पंडित शिवप्रकाश के आवास पर किया गया।

डा.अशोक मैत्रेय व कवि राज चैतन्य जी के सानिध्य में काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष प्रो.वागीश दिनकर तथा संचालन जिलाध्यक्ष कवि दिनेश त्यागी ने किया।कवि शिव प्रकाश शर्मा ने सरस्वती वंदना की। प्रो.वागीश दिनकर ने पढ़ामाता की पीड़ा से पूरित एक पत्र सुनाने आया हूं। डा.अशोक मैत्रेय ने पढ़ारिश्ते घायल हो रहे,टूट रहे अनुबंध।संवादों की सुई से, रफू करें संबंध।।कवि राज चैतन्य ने पढ़ापत झरे वृक्ष की ये कोयलें कह रहीं,मन में आस और उल्लास लेकर जियो।कवि दिनेश त्यागी ने पढ़ाकहां सुरक्षित बेटियां,बंद करो यह जाप।बेटी होना देश में,जैसे हो अभिशाप।। कवि अवनीत समर्थ ने पढ़ालिख सके जो लेखनी तो आज कुछ कमल लिख। कवि विजय वत्स ने पढ़ा हंसती गाती मिसाल बन जाओ।खुशबुओं के ख्याल बन जाओ।। जिनकी दुनिया बहुत अकेली है।उनके पुरसाने हाल बन जाओ।।शिव प्रकाश शर्मा ने पढ़ाकर्म अपने अपने सबका अपना लेखा जोखा है,सबको पता है हम क्या कमाए बैठे हैं।कवि रामवीर आकाश ने पढ़ामैने अपनी जिंदगी से इस तरह सौदा किया।दिल जलाकर रौशनी की,फिर उसे सजदा किया। कवि राम आसरे गोयल ने पढ़ाशबरी की तरह व्याकुल थी,जन जन की अभिलाषा।हो नगरी अयोध्या जैसी,मन मंदिर की रख आशा।। कवि आशीष भारद्वाज ने पढ़ाशब्द फिर छलकते हैं आज तुम्हें प्यार लिखूं। पुष्पेंद्र पंकज ने पढ़ाजुगनुओ सा रात भर मैं टिमटिमाया। कवि तरुण त्यागी ने पढ़ा जिन घरों में बड़े बूढ़ों का बरामदा नही होता।ओमपाल सिंह विकट ने पढ़ातेंदुए की आंखों में आंसू फिर आए तत्काल।बोला मेरा घर दिलवा दे नारद के लाल।।कवि उमेश शर्मा ने पढ़ाएक दिन पूछा अंतर्मन से।थके यो व्यथित मन से। कार्यक्रम में उपस्थित प्रशांत शर्मा, पराग शर्मा,सुशांत शर्मा, प्रिया शर्मा ,आराध्या व मान्या आदि ने भी अपनी प्रस्तुति दी।

Exit mobile version