मन की चंचलता को स्थिर करने के लिए आध्यात्मिक गुरु चाहिए-साध्वी स्वाति
,हापुड़।
कथा व्यास साध्वी स्वाति भारती ने बताया कि कृष्ण रुक्मणी विवाह आत्मा और परमात्मा के मिलन को प्रतीक है, जिसका ज्ञान साधारण मनुष्य के चंचल मन को समझना आसान नहीं है जिसे समझने के लिए आध्यात्मिक गुरु की आवश्यकता होती है ।
सिम्भावली के हरोडा मोड स्थित मधुबन गार्डन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिवस आशुतोष महाराज की शिष्या भागवताचार्या साध्वी स्वाति भारती ने कृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया ।
कथाव्यास ने बताया कि मनुष्य का प्रत्येक कार्य सबसे पहले उसके मन में जन्म लेता है।मन की चंचलता को स्थिर करने के लिए सामान्य गुरु की नहीं अपितु आध्यात्मिक गुरु की शरणागति होना ज़रूरी है ।आध्यात्मिक रूप से जाग्रत व्यक्ति ही समाज में सृजनात्मक व कल्याणकारी काम कर सकते हैं । जो स्वयं के प्रति जागृत हैं, वही परिवार, समाज व देश के प्रति कर्तव्यों का निर्वाह सफलतापूर्वककर सकते हैं ।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित उस ब्रह्मज्ञान को प्रदान करने वाले गुरु की खोज करें जो आपको तत्क्षण ईश्वर का दर्शन करा दे, और यदि आपको कही ऐसे पूर्ण संत की प्राप्ति नहीं होती तो श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संचालित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में आपका स्वागत है ।
इस मौकें पर गढ़ विधायक हरेंद्र सिंह तेवतिया , डॉ कमल सिंह मलिक पूर्व विधायक , कर्मवीर , सूर्य प्रकाश उनियाल , महेंद्र , श्रीमती निर्मला देवी विष्णु सिंह , शशिबाला सुधा आदि उपस्थित थे।