हापुड़। जनपद में बड़े पैमाने पर हो रही अवैध प्लाटिंग व भष्टाचार की शिकायतों के बाद प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने अपना चाबुक चलाते हुए अधिकारियों के कार्य क्षेत्रों में भारी फेरबदल किया। जिससे प्राधिकरण में हड़कंप मच गया।
जनपद में बड़े पैमाने पर अवैध प्लाटिंग, निर्माण व भष्टाचार की शिकायते लगातार प्राधिकरण वीसी आईएएस डा.नितिन गौड़ से की जा रही थी। सरकार को प्रतिमाह लाखों के राजस्व की हानि हो रही
है। अवैध निर्माण व प्लाटिंग पर अंकुश लगाने के उद्देश्य को लेकर
प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने करीब दो वर्षों से से एक ही जोन में कुंडली मारकर
बैठे सहायक अभियंता व अवर अभियंताओं के कार्य क्षेत्र बदल दिये है।
हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डा.नितिन गौड़ ने
बताया कि हापुड़ विकास क्षेत्र में जोन एक व जोन दो में सिविल एवं
अवस्थापना कार्य अवर अभियंता महेश चन्द्र उप्रेती व जोन तीन व जोन चार
में सिविल व अवस्थापना कार्य अवर अभियंता वीरेश राणा देखेंगे।
उन्होंने बताया कि गढ़मुक्तेश्वर विकास क्षेत्र में सिविल एवं
अवस्थापना का कार्य अवर अभियंता देशपाल सिंह व पिलखुवा विकास क्षेत्र में
जोन एक में सिविल व अवस्थापना का कार्य अवर अभियंता अंगद सिंह व जोन दो
में अवर अभियंता सुभाष चंद चौबे देखेंगे।
वीसी ने बताया कि हापुड़ विकास क्षेत्र में सहायक अभियंता
प्रवीण गुप्ता,पिलखुवा विकास क्षेत्र में सहायक अभियंता नीरज शर्मा व
गढ़मुक्तेश्वर विकास क्षेत्र में तुषार कांत जैन सिविल व अवस्थापना के
कार्य देखेंगे।
गौरतलब है,कि पूर्व में सहायक अभियंता नीरज शर्मा अवर अभियंता
हापुड़ विकास क्षेत्र में जोन एक,तीन व चार,जबकि जोन दो में अवर अभियंता
राकेश तोमर,गढ़मुक्तेश्वर में अवर अभियंता सुभाष चंद चौबे व पिलखुवा
विकास क्षेत्र में अवर अभियंता देशपाल व वीरेश राणा सिविल व अवस्थापना का कार्य देख रहे है। जिनके कार्यकाल में तीनों विकास क्षेत्र में अवैध निर्माण व अवैध प्लाटिंग की भरमार रहीं। जिससे सरकार को करोड़ों के राजस्व की हानि भी हुई।
आपको बता दें,कि गढ़मुक्तेश्वर विकास क्षेत्र में तो अवैध ढाबों की बाढ़ आ गयी थी। अवर अभियंता तो अपनी जेब भरने में मस्त हो गये,मजबूर
होकर वीसी को स्वयं ही हापुड़ व गढ़मुक्तेश्वर में सडक़ों पर उतरना पड़ा।
जिसके बाद वीसी के आदेश पर अवर अभियंताओं को अवैध ढाबों के खिलाफ सीलिंग
की कार्यवाही करनी पड़ी। सील खुलवाने के लिए ढाबा मालिकों को प्राधिकरण के नियम पूरे कर प्राधिकरण के खाते में भारी भरकर रकम जमा करानी पड़ रही है। जिससे प्राधिकरण की आय में भी बढ़ोत्तरी हो रही है।