हापुड़। जिले के 90 हजार किसानों को वितरित करने के लिए बुलंदशहर रोड पर बने पीसीएफ बफर गोदाम में रखे डीएपी का नमूना जांच में फेल हो गया है। दिसम्बर 2022 में यह नमूना लिया गया था, उस समय गेहूं बुवाई के लिए जिले में उर्वरकों का संकट था। इसी का फायदा उठाकर अधोमानक डीएपी किसानों में बांटा गया, अब रिपोर्ट को चुनौती देने के लिए कृषि निदेशक के यहां अपील की गई है।
विभिन्न प्रदेशों से माल गाडि़यों में आने वाली रैक का खाद बफर गोदाम में ही रखा जाता है। गोदाम में 80 हजार मीट्रिक टन से भी अधिक उर्वरक रखने का इंतजाम है। दिसम्बर, जनवरी महीने में उर्वरकों को लेकर खूब मारामारी रहती है। क्योंकि किसान एक ही साथ गेहूं बुवाई में लग जाते हैं और उस समय मुख्य रूप से डीएपी की जरूरत अधिक होती है।
बाजारों में उर्वरक खत्म थे, समितियों के बाद केंद्रों पर भी लंबी कतारें थीं। इसी के बीच दिसम्बर 2022 में किसानों को घटिया डीएपी सप्लाई किया गया। इस दौरान किसानों ने करीब 5 करोड़ का डीएपी खरीदा था। कृषि विभाग के अधिकारियों ने 26 दिसम्बर 2022 को बफर गोदाम से डीएपी का नमूना लिया था। प्रयोगशाला से आई रिपोर्ट में यह सैंपल अधोमानक पाया गया है।
अधिकारियों ने रिपोर्ट का अवलोकर कर बताया कि डीएपी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस कम पाई गई, जिस कारण उसे अधोमानक करार दिया है। रिपोर्ट को चुनौती देने के लिए कृषि निदेशक के यहां अपील की गई है, अधिकारियों ने बताया कि यह अपील स्वीकार भी हो गई है।
1370 रुपये है एक बैग की कीमत
डीएपी उर्वरक बेहद महंगा है, किसानों को यह उर्वरक 1370 रुपये प्रति बैग मिलता है। दिसम्बर महीने के दौरान ही डीएपी की रैक आयी थी, जिस थोक से सैंपल लिया गया, उसमें अधिकारी करीब तीन एमटी डीएपी सैंपलिंग के दौरान बचा होना बता रहे हैं, जो अब किसानों में वितरित हो चुकी है। ऐसे में किसानों को करोड़ो रुपये खर्च करने के बाद भी खराब गुणवत्ता का उर्वरक ही मिला है।
पुनः जांच के लिए किया आवेदन हुआ है स्वीकार
बफर गोदाम से भरा डीएपी खाद का सैंपल जांच में अधोमानक पाया गया है। खाद कंपनी की ओर से कृषि निदेशक के यहां पुनः जांच की अपील की गई थी, जिसे मंजूरी मिल गई है। नियमानुसार कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। – मनोज कुमार, जिला कृषि अधिकारी