हापुड़(अमित अग्रवाल मुन्ना)। (ehapuruday.com) सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने आज लोकसभा में शून्यकाल के दौरान ध्वनि प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण के सम्बन्ध में व्यवस्था बनाये जाने की मांग की।
इस दौरान लोकसभा में बोलते हुए सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा की जल एवं वायु प्रदूषण के समान ध्वनि का प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या है जिसे नियंत्रित करने के लिए सरकार ने सन 2000 में ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 बनाया। इसके अंतर्गत शोर का स्तर दिन में 50 से 75 डेसिबल और रात में 40 से 70 डेसिबल अनुमान्य किया गया। उन्होंने कहा कि देखने में आता है कि इन नियमों का व्यापक स्तर पर उल्लंघन किया जाता है। अनेक समारोहों में संगीत आदि बजाने के लिए प्रयोग किये जाने वाले डीजे अथवा डॉल्बी यंत्रों द्वारा 100 डेसिबेल से भी अधिक का ध्वनि प्रदूषण किया जाता है।
सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि डब्लू.एच.ओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत की 6 प्रतिशत से ज्यादा आबादी पूर्ण अथवा आंशिक बहरेपन की शिकार है जिसका मुख्य कारण लोगों का 60 डेसिबेल से अधिक शोर के संपर्क में रहना है। इससे बधिरता के साथ ही ह्रदय रोग, मानसिक व्याधियां एवं अन्य संज्ञानात्मक रोग होने की संभावनाएं होती है। बच्चे एवं वृद्ध इसके सर्वाधिक शिकार होते हैं। इस ऊँचे शोर के कारण भारी गाड़ियों का भी थरथराना तथा वृद्ध जनों की तबियत खराब होना अनेक सांसदों ने भी देखा होगा। स्वस्थ जीवन के लिए साफ़ हवा और शुद्ध जल के साथ साथ शोर रहित वातावरण भी मौलिक जरुरत है।
सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने सभापति के माध्यम से सरकार से अनुरोध किया कि वह इस विषय को संज्ञान में लेते हुए डीजे एवं अन्य उपकरणों द्वारा किये जा रहे शोर को नियमानुसार नियंत्रित करे तथा इसका उल्लंघन करने वालों पर दंडात्मक कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित करे।
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