कम से कम 80 फीसदी करदाता नए टैक्स स्ट्रक्चर के साथ जाएंगे। ऐसी उम्मीद वित्तमंत्रालय को है। यह बात राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कही है। बता दें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में आयकर दाताओं के लिए टैक्स स्लैब चुनने के दो विकल्प पेश किए हैं। एक कर छूट वाली और दूसरी बिना छूट के। नई कर श्रेणी के तहत अभी भी आप 50 तरह के छूट का आप फायदा उठा सकते हैं। नए टैक्स स्ट्रक्चर में प्रोविडेंट फंड यानी पीएफ और स्वैच्छिक सेवानिवृति यानी वीआरएस से मिलने वाली छूट को बरकरार रखा गया है जबकि एलटीए, एचआरए के जरिए मिलने वाली सलाना छूट अगले वित्त वर्ष से नहीं मिलेंगे। इसे लेने के लिए आपको पुराने स्लैब से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना पड़ेगा।
ज्यादातर लोगों को नई कर व्यवस्था से हाेगा लाभ
यहां संवाददाताओं से बातचीत में पांडेय ने कहा, ”हमारा मानना है कि कम-से-कम 80 प्रतिशत लोग नई योजनाए अपनाएंगे। पांडेय ने कहा कि सरकार ने बजट से पहले 5.78 करोड़ करदाताओं का विश्लेषण किया था और पाया कि 69 प्रतिशत लोगों को नई व्यवस्था अपनाने पर बचत होगी जबकि 11 प्रतिशत ऐसे हैं जो पुरानी व्यवस्था को पसंद करते हैं। शेष 20 प्रतिशत करदाताओं में से कुछ लोग ऐसे होंगे जो कागजी काम से बचना चाहते होंगे और नई व्यवस्था अपनाने की इच्छा रखते हों।
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पांडेय ने कहा कि कंपनी कर में जब सितंबर में कटौती हुई तो उन्हें भी इसी प्रकार का विकल्प दिया गया और 90 प्रतिशत कंपनियों ने कम कर दर को लेकर छूट मुक्त व्यवस्था को अपनाया। उन्होंने कहा, ”ज्यादातर लोग नई कर व्यवस्था को फायदेमंद पाएंगे।
50 ऐसे छूट हैं जो पुराने आयकर श्रेणी में अब भी है
नई स्कीम में 50 ऐसे छूट हैं जो पुराने आयकर श्रेणी में भी हैं। इन 50 की सूची में 5 लाख रुपये तक का वीआरएस भुगतान, जीवन बीमा पॉलिसी के तहत मिलने वाला बोनस (कुछ शर्तों के अधीन), जीपीएफ और पीपीएफ पर ब्याज, नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) से इसकी निकासी या बंद होने पर प्राप्त की गई रकम, शिक्षा की लागत को पूरा करने के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति भी शामिल है।
सीतारमण ने कहा कि पांच लाख रुपये तक की सालाना आय वाले करदाताओं को पुरानी या नई दोनों कर ढांचे में कोई कर नहीं देना होगा। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा, “व्यक्तिगत करदाताओं को राहत देने और आयकर कानून को सरल बनाने के लिए मैं एक नई और सरल व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था का प्रस्ताव कर रही हूं। इसमें छूट और कटौतियों को छोड़ देने वाले करदाताओं को कम दर पर कर देना होगा।”
कर योग्य आय का स्लैब (रुपये में) | आय कर की वर्तमान दरें | नई कर दरें |
0-2.5 लाख | छूट | छूट |
2.5-5 लाख | 5 प्रतिशत | 5 प्रतिशत |
5-7.5 लाख | 20 प्रतिशत | 10 प्रतिशत |
7.5-10 लाख | 20 प्रतिशत | 15 प्रतिशत |
10-12.5 लाख | 30 प्रतिशत | 20 प्रतिशत |
12.5-15 लाख | 30 प्रतिशत | 25 प्रतिशत |
15 लाख से ऊपर | 30 प्रतिशत | 30 प्रतिशत |
नई कर व्यवस्था के तहत, 2.5 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त रहेगी। 2.5 से पांच लाख तक की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगेगा, लेकिन 12,500 रुपये की राहत बने रहने से इस सीमा तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा। पांच से साढ़े सात लाख रुपये तक की आय पर 10 प्रतिशत, साढ़े सात से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत, 10-12.5 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत और 12.5 से 15 लाख रुपये तक की आय पर 25 प्रतिशत की दर से आयकर का प्रस्ताव है। पंद्रह लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगेगा।
(Input: भाषा)