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रोडवेज बसों की टूटी खिड़कियां में गत्ता लगा सफर करने को मजबूर हुए यात्री

हापुड़। रोडवेज की अधिकांश बसों के शीशे टूटे पड़े हैं। जिसके चलते यात्री ठंडी हवा से बचने के लिए जुगाड़ कर यात्रा करने को मजबूर हैं जिसके चलते कंपकंपाती ठंड में यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में मंगलवार को यात्रियों ने एआरएम को शिकायती पत्र लिखकर समस्या का समाधान करने के लिए मांग की है।

जानकारी के अनुसार हापुड़ डिपो की करीब 107 रोडवेज और करीब 15 अनुबंधित बसों का विभिन्न जिलों में संचालन होता है। सबसे अधिक बसों का संचालन गाजियाबाद और दिल्ली रूट पर होता है। इसके अलावा बरेली, मुरादाबाद, अयोध्या, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर, लखनऊ तक हापुड़ डिपो की बसों का संचालन होता है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में हापुड़ डिपो की बसों में यात्री सफर करते हैं। लेकिन डिपो की अधिकांश बसों में ठंड से पहले टूटे खिड़कियों के शीशे तक को नहीं बदलवाया गया है।

हालात यह है कि डिपो की अधिकांश बसों के कम से कम एक खिड़की का शीशा तो टूटा ही पड़ा हुआ है। कई बसें ऐसी भी हैं जिनके दो या दो से अधिक खिड़कियों के भी शीशे टूटे पड़े हैं। इसका खामियाजा यात्रियों को झेलना पड़ रहा है। इसके बाद भी बसों के अंदर ठंडी हवा प्रवेश करती है। ऐसे में ठंड में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं जिससे दैनिक यात्रियों के साथ-साथ अन्य यात्रियों में भी रोष व्याप्त है।

दैनिक यात्री संदीप कुमार का कहना है कि टिकट के दामों में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। जिसका यात्री भुगतान भी कर रहा है। इसके बाद भी उन्हें रोडवेज बसों में अच्छी सेवां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।

चालक व परिचालकों पर शीशे बदलवाने का बनाया जा रहा दबाव

नाम न लिखने की शर्त पर चालक व परिचालकों ने डिपो के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उन पर खिड़कियों के शीशे को बदलवाने का दबाव बनाया जा रहा है। यदि खिड़की के शीशे बदलवाने पर असमर्थता व्यक्त की जाती है तो संविदा कर्मियों के चालक व परिचालकों को नौकरी तक से निकालने की धमकी दी जाती है। जिसके कारण उन्हें बिना शीशे की बसों को चलाना पड़ रहा है।

अक्टूबर और नवम्बर में शीशों की कराई गई थी जांच

अधिकारियों का दावा है कि डिपो की सभी बसों की खिड़कियों के शीशे की जांच सर्दियां शुरू होने से पहले ही अक्टूबर और नवम्बर में ही जांच कराई गई थी। जांच के बाद सभी बसों में दिनांक को अंकित भी किया गया था। जांच के दौरान जिन बसों में शीशे नहीं थे उन्हें दुरूस्त कराया गया था। लेकिन, अब फिर से खिड़कियों के शीशे टूट गए हैं।

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