हापुड़। नलकूप बिल घोटाले से जुड़े 18 साल पुराने दस्तावेजों में गुम हुए 60 लेजर और करीब 70 चालान बुक की तलाश के लिए फिर से 18 साल का रिकॉर्ड खंगाला जायेगा। साल 1985 से 2003 के बीच के रिकॉर्ड में ये अहम दस्तावेज गायब मिले हैं। मेरठ की टीम कभी भी रिकॉर्ड रूम खंगाल सकती है। मामला जिले के करीब 12 हजार किसानों से जुड़ा है। घोटाले की राशि 600 करोड़ के पार पहुंच गई है। कैबिनेट या बोर्ड ऑफ डायरेक्टर जल्द इस पर बड़ा निर्णय ले सकते हैं।
बिल घोटाले की पटकथा साल 1985 से ही शुरू हो गई थी, क्योंकि उस समय सभी रसीदें मैनुअल ही कटती थीं। हर महीने के हिसाब से एक लेजर बनता था और एक महीने में एक चालान बुक ही मिलती थी। उस दौर में फर्जी रसीदें काटकर कुछ कर्मचारी अपनी जेब भरते रहे। मामला साल 2004 में खुला तो कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिरी।
साल 2019 में तत्कालीन डीएम अदिति सिंह ने शासन में पत्राचार कर, जांच शुरू कराई। जांच के दौरान रिकॉर्ड रूम खंगाले गए। बताया गया है कि करीब 18 सालों के रिकॉर्ड से 60 लेजर और 70 चालान बुक गायब हैं। निगम के एक जिम्मेदार अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अब 18 सालों के रिकॉर्ड में फिर से गायब हुए लेजर और चालान बुक खोजी जाएगी। यह गोपनीय जांच होगी।
कैबिनेट से होगा फैसला
घोटाले की राशि बढ़कर 600 करोड़ के पार हो गई है। इतनी राशि को संशोधित करना या खत्म करना किसी स्थानी अधिकारी के बस की बात नहीं है। ऐसे में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर या कैबिनेट ही इस पर फैसला ले सकते हैं।
नलकूपों के बिलों से जुड़े मामले में उच्च स्तर पर जांच चल रही है। समय-समय पर रिकॉर्ड खंगाला जाता है। जांच में आवश्यक दस्तावेजों को लेकर लगातार टीमें हापुड़ आती रही हैं। – यूके सिंह, अधीक्षण अभियंता