ः-ठोस, तरल व प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन की होगी कारगर व्यवस्था
ः-फिकल स्लज मैनेजमेंट पर होगा काम :-कोविड संक्रमण रोकने पर फोकस
हापुड़ः नए साल में नए जोश व प्रतिबद्धता के साथ पंचायती राज विभाग ग्राम पंचायतों को सम्पूर्ण स्वच्छता की ओर ले जाने के लिए मिशन मोड में कार्य करेगा। जिला पंचायत राज अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने इसके लिए विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रेरित करना शुरू कर दिया है। उन्होंने अधिकारियों व कर्मचारियों को संकेत दे दिया है कि नए साल में अच्छा कार्य करने वाले को पुरस्कृत व हीलाहवाली करने वालों के लिए दंड की व्यवस्था होगी।
जिला पंचायत राज अधिकारी ने बताया कि सभी ग्राम स्वच्छ, सुंदर व अत्याधुनिक जरूरी सुविधाओं से लैस करने का कार्य चल रहा है। नए साल में 162 ग्राम पंचायतों को ठोस, तरल, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए चुना गया है। पांच हजार की आबादी वाली ग्राम के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 60 रुपये प्रति व्यक्ति व तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 280 रुपया प्रति व्यक्ति का प्रावधान किया गया है। पांच हजार से अधिक जनसंख्या वाली ग्राम पंचायतों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 45 रुपये प्रति व्यक्ति और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 660 रुपये प्रति व्यक्ति का प्रावधान किया गया है। ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन में व्यय की जाने वाली धनराशि में 70 प्रतिशत स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण से और 30 प्रतिशत 15वें वित्त की धनराशि से किया जाएगा। इस राशि से ग्राम ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए कम्पोस्ट पिट और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सोख पिट बनाएंगी। प्रत्येक ग्राम पंचायत में अपशिष्ट कलेक्शन, उसकी छंटाई और उससे खाद बनाने का कार्य किया जाएगा। सामुदायिक स्तर पर कच्चा खाद गड्ढा, सामुदायिक स्तर पर पक्का खाद गड्ढा, केचुआ खाद या बर्मी कम्पोस्ट की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर पर एक अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र की व्यवस्था की जाएगी। यह केंद्र 1500 वर्ग मीटर भूमि में होगा। तरल अपशिष्ट ग्रे वाटर मैनेजमेंट के लिए व्यक्तिगत सोखता गड्ढे, सामुदायिक सोखता गड्ढे और वेस्ट स्टेबलाइजेशन पॉन्ड की व्यवस्था की जाएगी।
जिला पंचायत राज अधिकारी ने बताया कि विभिन्न स्तरों जैसे घरेलू स्तर, विद्यालय एवं आंगनवाड़ी, पँचायत घर, वाणिज्यिक क्षेत्र और ग्रामीण बाजारों से निकलने वाले अपशिष्ट का आंकलन किया जाएगा।
जिला पंचायत राज अधिकारी ने बताया कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिये प्रत्येक विकास खण्ड में एक यूनिट लगाई जा सकती है। इस पर कार्य चल रहा है। धौलाना विकास खण्ड से इसके लिए प्रस्ताव आ चुका है। कोशिश की जा रही है कि नए साल में हापुड़, सिम्भावली और गढ़ विकास खण्ड से भी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन यूनिट के लिए प्रस्ताव आ जाये। एक यूनिट के लिये अधिकतम 16 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। राजस्व ग्रामो से प्लास्टिक अपशिष्ट एकत्र कर इन केंद्रों पर भेजा जाएगा। संग्रहण, जिला पंचायत राज विभाग की कोशिश है कि ठोस, तरल व प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन की ऐसी व्यवस्था हो कि ग्राम पंचायतों को उससे आमदनी भी। फिकल स्लज मैनेजमेंट के लिए प्रति व्यक्ति 230 रुपये का प्रावधान किया गया है। यहां पर अधिकतर सेफ्टी टैंक वाले शौचालय हैं। उनके भरने पर साफ करने और निकले मल का सुरक्षित निपटान करने की जरूरत पड़ेगी। अच्छी व्यवस्था रहेगी तो सुरक्षित निपटान कुशलता से किया जा सकता है।
कोविड के नये वेरिएंट ओमिक्रान का खतरा तेजी से बड रहा है। इसके जोखिम को कम करने के लिये सभी ग्राम पंचायतों में निगरानी समितियों को सक्रिय कर दिया गया है नये साल पर प्रतिबद्धता व सर्तकता के साथ इस जोखिम को कम करने के लिये निगरानी समितियां काम करेंगी। सहायक विकास अधिकारी-पं0 और ग्राम पंचायत सचिव प्रधानों के माध्यम से कोषिष करेगे कि कोविड का जोखिम ग्राम पंचायतों में न बढ़ने पायें।
जिला पंचायत राज अधिकारी वीरेंद्र सिंह का कहना है कि नए साल में ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि ग्राम पंचायतों में साफ सफाई बनी रहे। लोग गन्दगी इधर उधर न फेंकें। मुख्य मार्गों एवं बाजार क्षेत्र में दिन में एक बार झाड़ू लगवाया जाएगा, नियत स्थान पर कूड़ेदान रखा जाएगा और इसकी नियमित सफाई कराई जाएगी। बाजारों में ठेले, खोमचे व अन्य श्रेणी के दुकानदारों से मिलकर अपशिष्ट को एकत्र और कूड़ेदान में डालने की व्यवस्था की जाएगी। शनिवार व रविवार को ग्रामीण बाजारों में सफाई की व्यवस्था की जाएगी।