टीबी कलंक या अभिशाप नहीं,इलाज। सम्भव ,2025 तक भारत को टीबी मुक्त करना उद्देश्य

हापुड़। आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत “आईकोनिक वीक ऑफ हैल्थ” के तहत क्षय रोग विभाग की ओर से बुधवार को राजकीय महिला चिकित्सालय कोठी गेट स्थित सभागार में चल रह‌े पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में आशाओं को टीबी रोग के विषय मे विस्तार से जानकारी दी गई व टी0बी0 खिलाफ कलंक शमन की शपथ दिलाई गई। इसी के साथ आशाओं से आव्हान किया गया कि वे अपने आसपास के लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने के ‌लिए जागरुक करें और साथ ही कोविड अनुरूप व्यवहार के बारे में विस्तार से जानकारी दें। जन समुदाय को बताएं कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन करके ही आप अपना और अपने परिवार का कोविड व अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव कर सकते हैं।
जिला पीपीएम कोर्डिनेटर सुशील चौधरी ने बताया टीबी हमारे देश की सबसे बड़ी संक्रामक बीमारी है। इस रोग की जल्दी पहचान और उपचार शुरू करने से टीबी के वैक्टीरिया की संक्रमण चेन को तोड़ा जा सकता है। उन्होंने बताया टीबी की जांच और उपचार की सुविधा पूरी तरह निशुल्क उपलब्ध है। जांच में टीबी की पुष्टि होने पर कम से कम छह माह दवा खानी ही होती है। उसके बाद जांच और चिकित्सक की सलाह पर दवा आगे भी बढाई जा सकती है, लेकिन ध्यान रहे चिकित्सक की सलाह के बिना बीच में दवा छोड़ने की गलती कतई न करें। ऐसा करने से टीबी मल्टी ड्रग रेसिसटेंट (एमडीआर) हो जाती है। उस स्थिति में टीबी का उपचार और मुश्किल व लंबा हो जाता है।
जिला पीपीएम कोर्डिनेटर सुशील चौधरी ने आशाओं को शपथ दिलाई – “ हम यह शपथ लेते हैं कि क्षय रोग के संबंध में समाज को बताएंगे कि क्षय रोग कोई कलंक या अभिशाप नहीं है, तथा इसका इलाज संभव है। इस कार्य में समर्पित होकर स्वस्थ एवं सुरक्षित समाज के निर्माण में अपना पूर्ण योगदान देंगे। टीबी हारेगा देश जीतेगा, जय हिंद।” पीपीएम कोऑर्डिनेटर ने इस मौके पर कहा कि टीबी के संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए जन सहभागिता जरूरी है। इसलिए जन समुदाय को टीबी के लक्षणों, जांच और उपचार के संबंध में पूर्ण जानकारी होना अति आवश्यक है, तभी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त किया जा सकता है।
इस अवसर पर ट्रेनर डॉ0 एस0सी0 डोवाल
डॉ0 नरेन्द्र पाल प्रियंका नामदेव व एच0ई0 ओ0 शैलेन्द्र सिंह आदि
उपस्थित रहे।

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