लाभार्थी की मांग पर गालंद पीएचसी में ही जाकर की नसबंदी
सीएमओ ने महिला नसबंदी तो डा. सुनील और डा. रणजीत ने पुरुष नसबंदी का मोर्चा संभाला
हापुड़ । काम करने की लगन जग जाए तो फिर क्या नहीं हो सकता। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, धौलाना में तैनात डा. सुनील गुप्ता और डा. रणजीत सिंह आर्य की जोड़ी ने डेढ़ माह के दौरान जनपद के दूसरे ब्लॉक में जाकर छह पुरुष नसबंदी कर यह साबित कर दिया है। अपनी लगन से स्वास्थ्य विभाग के इन दोनों चिकित्सकों की जोड़ी ने एक बड़े “मिथ” पर भी वार किया है। बात थोड़ी पुरानी जरूर हो गई है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के इतिहास में मील के पत्थर से कम भी नहीं है। हुआ यूं कि 2020 में गालंद निवासी एक पुरुष ने अपनी नसबंदी कराने के लिए डा. रणजीत सिंह आर्य के सामने एक शर्त रख दी, वह यह कि नसबंदी तो कराएगा लेकिन गालंद स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही कराएगा। इतना ही नहीं, नसबंदी की तारीख और समय भी वह खुद तय करेगा। लोगों ने कहा, भला स्वास्थ्य विभाग में कहीं ऐसा होता है क्या। यह शर्तें तो कोई निजी अस्पताल ही पूरी कर सकता है। डा. रणजीत को यह बात लग गई। उन्होंने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के साथ जुड़े “मिथ” को तोड़ने की ठान ली, और लाभार्थी को उसी की शर्तों पर नसबंदी करने की जुबान दे दी। उन्होंने इसके लिए पुरुष नसबंदी के एक्सपर्ट माने जाने वाले डा. सुनील गुप्ता से बात की और मिलकर यह टास्क पूरा करने की योजना बना डाली। फिर क्या था, पुरुष नसबंदी के लिए माइनर ऑपरेशन थियेटर गालंद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद था ही, उसे नसबंदी के लिए पूरी तरह से तैयार करवाया गया। आमतौर पर लाभार्थी ही किसी चिकित्सक से समय लेता है, इस मामले में उल्टा हुआ। डा. रणजीत आर्य ने लाभार्थी से उसी की सुविधा के मुताबिक समय मांगा और दिए गए समय पर डा. सुनील गुप्ता को साथ लेकर गालंद प्राथमिक स्वासथ्य केंद्र पहुंच गए। यह सब हुआ तो पुरुष नसबंदी के एक्सपर्ट माने जाने वाले डा. रविन्द्र भी गालंद पीएचसी पहुंच गए। डा. सुनील और डा. रविन्द्र की देखरेख में डा. रणजीत सिंह आर्य ने पहली सर्जरी की। स्थिति यह रही कि 2020 में हापुड़ जनपद में कुल 23 पुरुष नसबंदी हुईं। 22 नसबंदी डा. रविंद्र ने कीं और गालंद पीएचसी में एक नसबंदी डा. रणजीत ने।