आलू के भंडारण को लेकर किसानों की मारामारी शुरू, दाम घटे

बंपर पैदावार से आलू की भरमार, बंगाल और बिहार से भी घटी मांग, सरकार से निर्यात खुलवाने की मांग

हापुड़। आलू के भंडारण को लेकर किसानों की मारामारी शुरू हो गई है। शीतगृहों के बाहर दो-दो किलोमीटर लंबी कतारें लगी हैं, कोल्ड स्टोर करीब 75 फीसदी भर गए हैं। हाईब्रिड आलू के बंपर उत्पादन ने बाजार गिरा दिया है, बंगाल और बिहार से भी डिमांड नहीं मिल रही। अब सरकार निर्यात खोले तभी किसानों को कुछ राहत मिल सकती है।

उद्यान विभाग के अनुसार इस बार आलू का रकबा करीब डेढ़ फीसदी बढ़ा है, करीब 3500 हेक्टेयर रकबे में आलू की बुवाई हुई है। बंपर उत्पादन के किसान विभिन्न प्रजाति के हाईब्रिड आलू की बुवाई करते हैं। इस साल इस आले की बंपर पैदावार है, एक बीघा 60 से भी अधिक कट्टे निकल रहे हैं। जबकि चिप्सौना महज 35 से 40 कट्टा ही निकल रहा है।

हाईब्रिड के अत्याधिक उत्पादन ने बाजार गिरा दिया है, मंडी में सिर्फ 250 रुपये में कट्टा बिक रहा है। जबकि चिप्सौना 400 से 450 रुपये तक बिक रहा है। बाजार से उठान नहीं होने के कारण किसान शीतगृहों में आलू भंडारित करा रहे हैं, किसानों को उम्मीद है कि पिछले साल की तरह इस बार भी आलू चटकेगा।

शीतगृहों में भंडारण को लेकर मारामारी है, आलम यह है कि भंडारण को लेकर 2 किलोमीटर तक लम्बी लाईन लगी है। करीब 75 फीसदी भंडारण हो चुका है, जबकि खेतों में आलू की खुदाई अभी भी चल रही है। आलू कारोबारियों की मानें तो दूसरे प्रदेशों में भी इस वर्ष आलू की बंपर पैदावार है, जिसके चलते हापुड़ को डिमांड नहीं मिल रही है। इतने आलू को कहां ले जाएं, यह सोचकर किसान परेशान हैं।

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