Tax की गणना करते समय जानें क्या है आयकर में छूट, कर छूट और कर कटौती
अपने आय पर टैक्स की गणना करते समय हम इनकम टैक्स स्लैब से तो भलीभांति परिचित होते पर आयकर में छूट ( Income tax rebate), कर छूट ( Tax Exemption ) और कर कटौती ( Tax Deduction ) के लिए हमें सीए या किसी विशेषज्ञ की मदद लेनी पड़ती है। सुनने में ये तीनों लगभग एक जैसे लगते हैं लेकिन तीनों के अर्थ अलग-अलग हैं। आयकर अधिनियम (Income Tax Act ) के मुताबिक टैक्स रिबेट्स, टैक्स डिडक्शन और कर छूट के अलग-अलग मायने हैं। तो आइए आप भी समझ लें ये तीनों हैं क्या ताकि अगली बार जब आयकर रिटर्न भरने की बारी आए तो आप इनका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकें…
कर छूट यानी Tax exemption
सबसे पहले बात टैक्स छूट की। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कुछ निश्चित आय के स्रोतों को करमुक्त करता है। इसका आशय ये हैं कि ऐसे स्रोतों से हुई इनकम पर आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। जब हम अपने कुल कर योग्य आय की गणना करते हैं तो ऐसे स्रोतों से मिली रकम को हम कुल आय से घटा देते हैं। वेतनभोगी के कुल इनकम में से एलटीए, मकान किराया घटा दिया जाता है। इससे आपको ग्रॉस इनकम का पता चल जाएगा।
कर छूट या Tax deduction
आप दो प्रमुख कटौती का फायदा उठा सकते हैं, पहला 40,000 रुपये की मानक कटौती और आयकर अधिनियम की धारा 80 के विभिन्न उप-वर्गों के तहत अन्य सभी तरह की कटौती । निवेश जैसे भविष्य निधि (EPF, PPF और VPF), म्यूचुअल फंड ईएलएसएस, एनएससी, सावधि जमा, एफडी और धारा 80 (सी) के तहत किए गए खर्च जैसे ट्यूशन फीस आदि को इसमें शामिल कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आपको 80 (D), 80 (E) और 80 (G) के तहत भी कर छूट मिलता है। इन सारे खर्चों और निवेश को ग्रॉस इनकम से घटाने के बाद आपकी जो भी इनकम होगी वह करयोग्य (Taxable) होगी।
कर कटौती या Tax rebate
आप अपने करयोग्य यानी Taxable Income पर भी उसमें छूट पा सकते हैं। आयकर विभाग कुछ केसों में आपके टैक्स में कटौती की सुविधा देता है। धारा 87A के तहत 5 लाख तक सलाना आय वाले लोग वित्तीय वर्ष 2019-20 में 12,500 रुपये की छूट पा सकते हैं। इसका मतलब ये हैं कि अगर आपकी कर योग्य आय 5 लाख तक है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
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