कमीशन के आरोप में फंसे नगर स्वास्थ्य अधिकारी, उप मुख्यमंत्री ने दिए जांच के निर्देश
कमीशन के आरोप में फंसे नगर स्वास्थ्य अधिकारी, उप मुख्यमंत्री ने दिए जांच के निर्देश
गाजियाबाद
गाजियाबाद में सीसीटीवी कैमरे और बायोमेट्रिक मशीन खरीदने के बाद कमीशन के चक्कर मे फर्म के भुगतान में लापरवाही करने और बिल को पास न करने पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने मंगलवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को इस मामले में मेरठ मंडल के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर निदेशक से जांच कराए जाने के निर्देश दिए हैं
स्वच्छ भारत मिशन के तहत गाजियाबाद में विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का कार्य चार साल पहले दिल्ली की मै. जितिन प्रसाद आनंद कम्प्यूटर्स फर्म को दिया गया था। कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक मशीन की खरीद भी की गई थी , जिस समय यह खरीद हुई थी, तब गाजियाबाद में नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर वीरेंद्र पाल शर्मा की और स्टोर कीपर के पद पर मोहन कुमार की तैनाती थी।
फर्म ने फरवरी 2019 में लगाए थे भुगतान के लिए बिल
फर्म ने फरवरी 2019 में भुगतान के लिए बिल लगाए थे, लेकिन पत्रावलियों का अवलोकन सात माह तक भी नहीं किया गया। इस मामले में आरोप लगा था कि भुगतान से पहले कमीशन के चक्कर में पत्रावलियों का अवलोकन नहीं किया गया है और भुगतान के लिए बिल लेखा अधिकारी के पास नहीं भेजा गया।
इस दौरान गाजियाबाद नगर निगम में नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर डॉक्टर मिथिलेश कुमार सिंह की तैनाती भी हो गई, उन्होंने भी पत्रावलियों का अवलोकन नहीं किया इस मामले की शिकायत पर मेरठ विजिलेंस द्वारा जांच भी की गई, जिस्की रिपोर्ट में बताया गया कि कोरोना काल की शुरुआत होने के कारण डॉक्टर मिथिलेश कुमार सिंह पर उस वक्त कोरोना की रोकथाम का जिम्मा भी था।
ऐसे में पत्रावलियों का अवलोकन करना मुश्किल था लेकिन यदि वह पत्रावली का अवलोकन कर लेते तो बिल का भुगतान हो जाता। उनको आपराधिक श्रेणी का तो नहीं लेकिन शिथिल पर्यवेक्षण का दोषी माना गया था और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गयी थी। अब यह मामला उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के पास पहुंचा है, उन्होंने इस मामले में जांच के निर्देश जारी किए हैं।