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श्रीमद्भागवत कथा का छठवां दिन : भागवत कथा व सत्संग सुनने से बदल जाता है जीवन – डॉ शैल बिहारी दास जी महाराज

श्रीमद्भागवत कथा का छठवां दिन : भागवत कथा व सत्संग सुनने से बदल जाता है जीवन – डॉ शैल बिहारी दास जी महाराज

रूक्मिणी विवाह पर जमकर झूमे श्रद्धालु


हापुड़। नगर के जवाहर गंज में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन मंगलवार को रूक्मिणी विवाह का आयोजन किया गया। जिसमें श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य कर खुशी मनाई।
श्रीकृष्ण-रुक्मणि का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

 

श्रीधाम वृन्दावन के प्रमुख व कथा वाचक श्रद्धेय डॉ शैल बिहारी दास जी महाराज ने बताया कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया।

उन्होंने बताया कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धजकर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गईं। कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं। उन सभी गोपियों के मन में कृष्ण के नजदीक जाने, उनसे प्रेम करने का भाव तो जागा, लेकिन यह पूरी तरह वासना रहित था। इसके बाद भगवान ने रास आरंभ किया। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ।

उन्होंने बताया कि उन्होंने कहा कि सत्संग में मति, कीर्ति, भलाई और गति मिलती है। सत्संग को जो तन और मन लगाकर सुनते हैं, उनका पूरा जीवन बदल जाता है। सत्संग में आने से विचार, बुद्धि, कर्म और आचरण बदलता है। धीरे-धीरे सत्संग से पूरा जीवन बदल जाता है।

इस मौके पर बच्चों ने आकर्षक वेश-भूषा में श्रीकृष्ण व रुक्मिणी विवाह की झांकी प्रस्तुत कर विवाह संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया। कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम के यजमान अमित अग्रवाल व डॉ.सुमन अग्रवाल सपरिवार थे। मंच का संचालन डॉ.राकेश अग्रवाल ने किया।

इस मौके पर अशोक गुप्ता बीमा वालें, अरूण अग्रवाल, यशी बंसल, पूर्व सभासद चन्द्र प्रकाश ठठेरे, अलका कौशिक, भावना अग्रवाल, डॉ सुमन अग्रवाल,विशाल अग्रवाल (एडवोकेट), रीना अग्रवाल, पूनम कर्णवाल , करन सेठी , संजीव, राहुल बिट्टू, यर्थाथ, आयुष वर्मा, वैभव,नेहुल,प्रतिष्ठा आदि मौजूद थे।कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। अंत में आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।

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