हापुड़(अमित मुन्ना)।
आज चौथा विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पूरा विश्व मनाने जा रहा है इसका प्रारंभ 2018 में खाद्य की सुरक्षा के लिए किया गया था लेकिन खाद्य सुरक्षा इसलिए जरूरी थी कि देखने में आता था कि भारतवर्ष की जनता का एक तिहाई अनाज जिसे खाकर भारतवर्ष की जनता का पेट भरा जा सकता था उसे चूहे ही नष्ट कर देते थे बाकी यदि हम देखें तो रखरखाव भी बहुत अच्छा नहीं था बढ़ती आबादी घटती भूमि को ध्यान में रखते हुए विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस की आवश्यकता महसूस की गई।
लोक भारती के मेरठ प्रांत के संयोजक भारत भूषण गर्ग ने वेबीनार को संबोधित करते हुए कहा यदि कोविड-19 की महामारी के दौर में भी हम केवल खाद्य सुरक्षा की ही बात करेंगे वह पर्याप्त नहीं है अपितु हम सबको इस दौर में आकर सुरक्षित भोजन अथवा सुरक्षित खाद्य के विषय में भी विचार करना होगा आज भूमि की घटती उर्वरा शक्ति एवं बढ़ता रसायनिक खादों का प्रयोग भूमि को ही बंजर नहीं बना रहा है वरन उत्पादन को भी जहरीला बना रहा है जिसका नुकसान नागरिकों को होने के साथ-साथ ही किसानों को भी बर्बाद कर रहा है सबसे पहले तो किसान को अधिक लागत लगानी पड़ती है उसके पश्चात भी उसके उत्पाद निर्यात नहीं हो पाते हैं कारण उनमें केमिकलों की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है की विदेशी देश हैं वह हमारे उत्पादों को लेने से मना कर देते हैं अतः आज विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के उपलक्ष में हम सभी को यह संकल्प लेना होगा कि हम कल के भोजन के रूप में आज जिस खाद्य को सुरक्षित कर रहे हैं वह मानव जीवन के लिए भी सुरक्षित होना चाहिए। इसके लिए हम सभी को अपने आसपास के प्राकृतिक किसानों को ढूंढ कर उनको सम्मानित करने के साथ ही साथ उनके उत्पादों को खरीद कर उन्हें यह निवेदन करना चाहिए कि वह हमारी आवश्यकता की चीजों को भी प्राकृतिक तरीके से उगाना प्रारंभ करें इससे हमें तो लाभ होंगे ही, प्राकृतिक कृषि करने वाले किसान भी बढ़ने लगेंगे तथा हमें जहर मुक्त खाद्य पदार्थ प्राप्त हो जाएंगे ।
वेबीनार में अनेकों जनपद के कार्यकर्ताओं ने जुड़कर अपने अपने विचार प्रकट किए जिनमें प्रमुख रूप से कुंवर नीरज सिंह डॉक्टर नरपत सिंह,धर्मेंद्र त्यागी, संजीव शर्मा,कृष्ण दत्त शर्मा सोमप्रकाश शर्मा आदि रहे।