नई दिल्लीः कोरोना महामारी के इस दौर में हर इंसान परेशान है और बीमारी के खतरे से जूझ रहा है. लेकिन डायबिटीज के शिकार मरीजों को कोरोना संक्रमण का खतरा कुछ ज्यादा है. दरअसल कोरोना संक्रमण के बाद कुछ डायबिटीज के मरीजों की आंखों की रोशनी भी जाने की घटनाएं हुई हैं.
म्यूकोरमाइकोसिस नामक बीमारी का खतरा
दरअसल डायबिटीज के मरीजों को अगर कोरोना संक्रमण हो जाता है तो बाकी कोरोना मरीजों की तरह उन्हें भी इलाज में स्टेरॉइड दिया जाएगा. स्टेरॉइड के सेवन से डायबिटीज के मरीजों में फंगस इंफेक्शन होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. कई मामलों में यह फंगस इंफेक्शन आंख की नसों के पास जमा हो जाता है. इससे मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस नामक बीमारी हो जाती है. जिसमें फंगस इंफेक्शन के चलते मरीज की सेंट्रल रेटाइनल आर्टरी में ब्लड का फ्लो बाधित हो जाता है, जिससे आंख की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है.
भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर में बीते 15 दिनों में म्यूकोरमाइकोसिस के 52 केस आ चुके हैं. जिनमें कोरोना संक्रमित डायबिटीज के मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई है.
क्या हैं म्यूकोरमाइकोसिस के लक्षण
म्यूकोरमाइकोसिस बीमारी में मरीज की नाक खुश्क हो जाती है. नाक की परत अंदर से सूखने लगती है और चेहरा और त्वचा सुन्न हो जाती है. साथ ही मरीज के दांत भी ढीले पड़ने लगते हैं.
इलाज है संभव लेकिन…
म्यूकोरमाइकोसिस बीमारी या आंख में फंगस के इंफेक्शन को रोकने का इलाज लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी नामक इंजेक्शन है. यह इंजेक्शन मरीज को 6 लगते हैं. एक इंजेक्शन की कीमत करीब 5 हजार रुपए है. साथ ही लक्षण दिखते ही डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है वरना अगर देर हो गई तो फिर मरीज की आंखों की रोशनी को बचाना मुश्किल हो जाता है. अगर यह इंफेक्शन दिमाग तक पहुंच जाए तो फिर इससे मरीज की जान भी जा सकती है.