समर्थ शिशु रामकथा :वित्तति आने पर पुरुष व महा विपत्ति आने पर नारी नेतृत्व करती है:पं.श्याम स्वरूप
-नारी को कभी भी अपनी मर्यादा को नहीं गिराना चाहिए
-मनोविज्ञान के अनुसार बच्चों को भाषा सीखना कठिन होता है,नम्रता
,हापुड़ ।
पं.श्याम स्वरूप मनावत ने कहा ने नारी शक्ति की महत्ता बताते हुए कहा कि विपत्ति आने पर तो पुरुष नेतृत्व करते है,और महाविपत्ति आने पर नारी नेतृत्व करती है। और पुरुष पीछे रह जाते है।
गुरुवार को श्रीमति ब्रहमादेवी सरस्वती बालिका विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित समर्थ शिशु रामकथा में पं.श्याम स्वरूप मनावत श्रद्घालुओं के समक्ष प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने छात्राओं को बहुत की सरल एवं प्रभावकारी भाषा में ऊँ के 5 भाग अकार,मकार,ऊकार,चन्द्राकार और अनुस्वार का परिचय कराया।
पं.श्याम स्वरूप ने छात्राओं को समझाया कि नारी का सम्बन्ध पिता से परमात्मा के द्वारा एवं पति से समाज द्वारा निर्धारित होता है। इसलिए नारी को कभी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए,जिससे उसका कुल एवं परिवार कलंकित हो। लंबे नाखून रखकर एवं पुरुष के समान पहनावा पहनकर उन्हें अपनी मर्यादा को नहीं गिराना चाहिए। नारी को अपनी नारीत्व पर अभियान होना चाहिए।
कालेज में चल रही शैक्षिक गोष्ठी में सह संयोजिका शिशु भारती नम्रता दत्त ने कहा कि बाल मनोविज्ञान के अनुसार बच्चों को भाषा सीखना कठिन होता है,इसलिए उसे सरल बनाने हेतु भाषा विज्ञान को अनुकथन,अनुपठन,अनुलेखन एवं श्रतलेखन के माध्यम से फ्लैश बोर्ड के द्वारा समझाया।
इस अवसर पर स्वाति गर्ग,संजय गर्ग,हरीश मित्तल,अनिल अग्रवाल,डोमेश्वी साहु,हुकुमचन्द,आशा बेन थानकी,हिना बेन ठुम्मर,शिवकुमार,कुलदीप कसाना,मीनाक्षी यादव आदि उपस्थित र