संतो , सैनिकों और शिक्षकों ने यूनीफोर्म सिविल कोड लागू करने का शंखनाध किया – राष्ट्रीय सैनिक मोर्चा

हापुड़/गाज़ियाबाद(अमित अग्रवाल मुन्ना)।
शंकराचार्य नरेंद्रनन्द जी ने कहा कि इसी लोक सभा सत्र में यूनीफोर्म सिविल कोड का बिल पास होना चाहिए और सिविल कानूनों के अलावा , संविधान में जो भी विसंगातियाँ है उन्हें इस बिल में ठीक कर लेना चाहिए ।

हिज होलीनेस आचार्य ( डा ) लोकेश ने सुझाव दिया की भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लिखा जाये की आजादी के 75वें वर्ष में यूनीफोर्म सिविल कोड का लाना एक चिल्लाती हुई आवश्यकता है । यह बेशक संविधान के केवल नितिगत सिद्धांतो में शामिल हो परन्तु यह संविधान का निचोड़ है । उन्होंने जोर देकर कहा की हमे तब तक विश्राम नहीं करना चाहिए जब तक यूनीफोर्म सिविल कोड लागू न हो जाए ।लेफ्टिनेंट जनरल अश्विनी कुमार बक्शी ने बताया कि यूनिफोर्म सिविल कोड में मुख्यत : विवाह , तलाक , गौद लेना और सम्पति का अधिकार शामिल हैं ,परन्तु वोट बैंक की राजनीति के कारण सरकारे इन सब पर यूनीफोर्म सिविल कोड नही ला पाईं , जिसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ रहा है । अदालतों के पास जो समय आम आदमी के झगड़ो को सुलझाने का था वो समय अलग अलग धर्मो के रीती रिवाजो में फसे मसलो में बर्बाद किया जा रहा है । उन्होंने कहा की समुदायो की बराबरी की बजाय जेंडर की बराबरी पर ध्यान दिया जाये । लेफ्टिनेंट गुरमीत सिंह ने कहा की यद्धपि समानता और स्वतंत्रता प्रतिद्वंदी है फिर भी सोच कर देखिये की सेना ही आपात कल में किसी भी स्थिति को नियंत्रित कर लेती है क्योंकि जिस्म कोई भी हो जिसपर युनिफोर्म एक ही होती है । संयुक्त राष्ट्र के पीस कीपिंग फ़ोर्स के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल चन्द्र प्रकाश वाधवा , रूट इन काश्मीर के संस्थापक सुशील पंडित , लेह में महाबोधी इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर के संस्थापक भिक्कू संघासेना ने भी यूनिफोर्म सिविल कोड का अपने अपने शब्दों में पूर्ण समर्थन किया । भारत में यहूदी धर्म के मुखिया राबी एजेकल मालेकर ने पूछा की जब पाकिस्तान , बंगलादेश , मलेशिया , टर्की , इंडोनेशिया , सुदान और इजिप्ट जैसे इस्लामिक देशो में और तो और भारत के गोवा में जब यूनिफोर्म सिविल कोड लागू है तो पूरे भारत में क्यों नही ?

राष्ट्रिय सैनिक संस्था के राष्ट्रिय अध्यक्ष वीर चक्र प्राप्त कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी ने कहा की यदि यूनिफोर्म सिविल कोड लागू नहीं होता है तो देश में धर्म निरपेक्षता बेईमानी है ।
उन्होंने बताया कि हमारे निवेदन पर गृह मंत्रालय ने यूनिफोर्म सिविल कोड का मुददा पुन : विधिक विभाग को पुनर विचार करने के लिए 4 मार्च 2021 को भेजा है ।

वेबिनार का संचालन करते हुए राष्ट्रिय सैनिक संस्था की दिल्ली इकाई की सचिव प्रोफ़ेसर ( डा ) सपना बंसल ने बताया कि संविधान की धारा 44 में यूनीफोर्म सिविल कोड को लागू करने की बात कही गई है। इतना ही नही सर्वोच्च न्यायालय ने भी सरकार को चार बार सलाह दी है की वो इसे लागू करने का गंभीर प्रयास करें । अब तो दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी केन्द्रीय सरकार को यूनिफोर्म सिविल कोड पर काम करने के लिए कहा है । इसके बाद वेबिनार में शामिल गणमान्य व्यक्तियों के प्रशन उत्तरों के सत्र का भी संचालन किया गया।
हापुड़ जनपद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महिला ब्रिगेड की अध्यक्ष श्रीमती सुमन त्यागी, जिला अध्यक्ष ज्ञानेंद्र त्यागी, जिला कोषाध्यक्ष मुकेश प्रजापति व जिला सूचना प्रसारण मंत्री श्याम वर्मा ने भी भाग लिया।

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