नई दिल्ली: चावल, दुनियाभर के लोगों की डाइट का सबसे अहम हिस्सा है. खासकर एशिया के ज्यादातर देशों में तो चावल का बहुत अधिक इस्तेमाल किया जाता है. भारत में भी अधिकतर लोग चावल खाना पसंद करते हैं. राजमा चावल और कढ़ी चावल हो या फिर सांभर चावल और रसम चावल- उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक चावल सभी लोगों का फेवरिट है. लेकिन इन दिनों हेल्थ कॉन्शस लोगों के बीच ब्राउन राइस (Brown Rice) भी काफी पॉपुलर हो गया है. तो सेहत के लिहाज से वाइट राइस या ब्राउन राइस क्या है ज्यादा बेहतर, यहां जानें.
ब्राउन राइस Vs वाइट राइस: पोषक तत्व
अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर की मानें तो 1 कप (185 ग्राम) वाइट राइस में 242 कैलोरीज, 4.43 ग्राम प्रोटीन, 0.39 ग्राम फैट, 53.2 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 0.56 ग्राम फाइबर पाया जाता है. तो वहीं 1 कप (200 ग्राम) ब्राउन राइस में 248 कैलोरीज, 5.54 ग्राम प्रोटीन, 1.96 ग्राम फैट, 51.7 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 3.23 ग्राम फाइबर होता है. इसके अलावा वाइट और ब्राउन दोनों ही तरह के चावल में फोलेट और आयरन भी पाया जाता है.
चूंकि ब्राउन राइस में अनाज के सभी हिस्से चोकर और अंकुर (bran and germ) मौजूद होते हैं इसलिए यह ज्यादा न्यूट्रिशियस यानी पोषक तत्वों से भरपूर होता है. लेकिन सफेद चावल (White Rice) में ये दोनों चीजें नहीं होतीं, और जरूरी पोषक तत्व भी कम ही मात्रा में होते हैं इसलिए ब्राउन राइस को वाइट राइस से ज्यादा हेल्दी माना जाता है.
किडनी डिजीज वाले लोग न खाएं ब्राउन राइस- ब्राउन राइस में फॉस्फोरस और पोटैशियम (Potassium) की मात्रा अधिक होती है. जिन लोगों को किडनी की बीमारी (Kidney disease) हो उन्हें सफेद चावल ही खाना चाहिए क्योंकि जब किडनी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं होती तो वह इन दोनों न्यूट्रिएंट्स को रेग्युलेट नहीं कर पाती और शरीर में पोटैशियम की मात्रा अधिक हो जाए तो हार्ट अटैक का खतरा (Heart Attack) रहता है.
इन बीमारियों में भी न खाएं ब्राउन राइस- जिन लोगों को डायरिया, आईबीडी, कोलोरेक्टल कैंसर की बीमारी हो या फिर जिनका पाचन तंत्र का ऑपरेशन हुआ हो, ऐसे लोगों को भी ब्राउन राइस नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा (Excess Fiber) अधिक होती है. सफेद चावल में फाइबर कम होता है इसलिए इसे पचाना आसान होता है.