बसपा सांसद कुवंर दानिश ने की सांसद ओवैसी पर हमलें की निंदा
हापुड़़। गढ़ अमरोहा क्षेत्र से बसपा सांसद कुंवर दानिश अली ने कहा कि
3 फरवरी को उत्तर प्रदेश में पिलुखुवा टोल के पास AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी पर कायरतापूर्ण हमले की निंदा करते हुए उन्होंने के कहा के मेरे जनपद में एक सांसद के ऊपर गोली चलती है। हो सकता है कि मेरे मतभेद आपसे हों, लेकिन ये कायरतापूर्ण हमला बताता है कि योगी और मोदी सरकार में कोइ भी सुरक्षित नहीं है। सरकार से मेरी मांग है की इसकी उच्च स्तरीय जाँच की जाये और अपराधियों को सख़्त सज़ा दी जाये।
सांसद कुँवर दानिश अली ने
आज लोक सभा में महामहिम राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुए कहा कि आज हम अमृत महोत्सव के रूप में आज़ादी का 75वां वर्ष मना रहे हैं, लेकिन जहां हमारे देश में अमृत बहना चाहिए था, वहां आज नफ़रत बह रही है। सरकार के मंत्री सदन में बैठकर ज़हर उगलते हैं और बाहर भी ज़हर उगलते हैं। हमेशा ज़हर उगलने का ही काम करते हैं, इस में कोई नई बात नहीं है।
महामहिम राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में बेटियों को पढ़ाने के बारे में कहा। इस पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है कि उसने कितना मजबूत नारी सशक्तिकरण किया है, लेकिन वहीं आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर इस सरकार की आंखों तले ‘बुल्ली बाई और ‘सुल्ली बाई’ जैसी एप्स पर एक विशेष वर्ग, ख़ास तौर से मुस्लिम वर्ग की महिलाओं को, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में बहुत कुछ हासिल करके एक ख़ास मुक़ाम बनाया है, उनका बोली लगाई जाती है, लेकिन यह सरकार कुछ नहीं करती। मैं कहना चाहता हूं और मुझे यकीन है कि जब आदरणीय प्रधान मंत्री जी सदन में आएंगे और उत्तर देंगे, जो धर्म संसद के नाम पर अधर्म संसद, जो हरिद्वार में हुई और वहां एक विशेष वर्ग, ख़ास तौर से अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों का, मुसलमानों का क़त्ल-ए-आम करने की बात कही गई, उस पर सरकार की तरफ से आज तक कोई टिप्पणी नहीं आई। मैं इस सदन का सदस्य होने के नाते यह गुज़ारिश करूंगा कि प्रधान मंत्री जी जब यहाँ आएं, तो इस बारे में ज़रूर जवाब दें।
प्रधान मंत्री जी हर चीज पर ट्वीट कर देते हैं। संसद रोज चल रही है, लेकिन इतनी बड़ी घटनाएं हरिद्वार, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में हुईं पर आज तक प्रधान मंत्री जी को इसकी फुर्सत नहीं मिली कि वह इनकी निंदा करें। मुझे विश्वास है कि वह जब आएंगे तो इस पर जरूर जवाब देंगे।
कुछ सांसदों और मंत्री द्वारा दानिश अली के बयान पर हंगामा करने पर उन्होंने कहा कि मैं जब बोलने के लिए खड़ा होता हूं तो इस सरकार के मंत्री मुझे रोकने, टोकने और बाधा डालने के काम करते हैं। उन्होंने सरकार के मंत्री गिरिराज सिंह पर तंज कसते हुए कहा के देश में नफ़रत फैलाने में इनका बड़ा योगदान है, जिस पर गिरिराज सिंह भड़क गए जिस पर दानिश अली ने कहा कि मुझे इस बात का गर्व है कि आप मुझे बात कहने नहीं दे रहे हैं। आप क्यों डरते हैं? मैं डरने वाला नहीं हूं।
सभापति के हस्तछेप करने पर दानिश अली ने कहा कि वह सरकार के मंत्री हैं, अत: उनको इस बात का लिहाज करना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि मैं एक शोषित, वंचित समाज का प्रतिनिधित्व करने वाला, बहुजन समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाला एक व्यक्ति यहां बोल रहा है और वे हमेशा मुझे बोलने से रोकते हैं। मैं कहना चाहता हूं कि यह सरकार हमेशा अपने गोल पोस्ट्स चेंज करती रहती है। जब ये सरकार में आए थे तो इन्होंने कहा था कि हर साल ये दो करोड़ रोजगार देंगे। लेकिन राष्ट्रपति महोदय के अभिभाषण में कहा गया कि 60 लाख रोजगार दिए गए हैं। आप यह स्वीकार करें कि आप झूट बोलते हैं और आपकी सरकार वाकई जुमले वाली सरकार है। इस बात से यह साबित भी हो जाता है। आगे उन्होंने कहा के मुझे याद है कि जब मैं वर्ष 2019 में यहां चुनकर आया था तो राष्ट्रपति जी के अभिभाषण की शुरुआत नारायण गुरु जी का नाम लेकर हुई थी, लेकिन इस वर्ष जब केरल की सरकार ने नारायण गुरु की प्रदर्शनी को गणतंत्र दिवस पर लाने का फैसला किया तो उसे अनुमति नहीं दी गयी।
कुंवर दानिश अली ने समाज में बढ़ती असमानता और किसानों के ऊपर बोलते हुए कहा कि यह सरकार सिर्फ अमीरों को कितना अमीर बनाया जाए तथा गरीबी और बढ़ाई जाए, इस पर काम कर रही है। अभी पिछले दिनों इसके आंकड़े आए हैं। इन्होंने वर्ष 2017 में कहा था कि हम किसानों की आमदनी दोगुना करेंगे, दोगुना की बात छोड़िए, उनको लागत तक नहीं मिल रही है। जो आंकड़े आए हैं, उस में यह पाया गया है कि इस देश में 142 लोग ऐसे हैं, जिनकी सम्पत्ति इस कोरोना-काल के दौरान 23 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 56 लाख करोड़ रुपये हो गई है। यह सरकार अडानी और अंबानी जैसे लोगों को फायदा पहुंचाने का काम करती है।
उज्ज्वला योजना का यहां जिक्र किया गया उज्ज्वला योजना में गैस सिलेंडर तो दिए गए, लेकिन 400 रुपये वाला गैस सिलेंडर आज 1,000 रुपये का हो गया है। आज गैस खरीदने का पैसा लोगों के पास नहीं है। कोरोना के नाम पर स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज बंद हैं। हमारे नौजवान बच्चों की जो पीढ़ी है, उनका कितना नुकसान हो रहा है। डिजिटल बदलाव की बात सरकार बहुत करती है और कहती है कि हर गांव में इंटरनेट कनेक्शन है, लेकिन गांवों और देहातों में 80 परसेंट लोगों के पास अभी भी स्मार्ट फोन नहीं हैं।
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