हापुड़ (अमित मुन्ना)।
आईएमए व जिला अस्पताल के संयुक्त तत्वावधान में देवनंदनी अस्पताल में टीबी निराकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया,जिसमें टीबी रोगियों को गोद लेकर जागरूक किया गया।
कार्यशाला में बताया गया कि टीबी का नाम सुनते ही मन में एक अजीब सा डर समा जाता है | यह सच है कि टीबी एक गम्भीर संक्रामक रोग है लेकिन अब इससे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है | आज के समय में टीबी का मुक्कमल इलाज उपलब्ध है | बस, आवश्यकता है कि इस रोग का सही समय पर और पूरा इलाज कराया जाए | अगर ऐसा न किया गया तो ली गई दवाओं का असर कम हो जाता है और रोग घातक अवस्था में पहुँच सकता है | इसके अलावा घर में किसी एक सदस्य को यह बीमारी हो गई है तो अन्य सदस्यों को उससे थोड़ी दूरी बनाना बेहद आवश्यक है ।
तीन सप्ताह से ज्यादा खांसी, विशेषकर शाम के बढ़ने वाला बुखार, छाती में दर्द, वजन घटना, भूख में कमी तथा बलगम के साथ खून आना टीबी के मुख्य लक्षण है | समान लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें | टीबी की जांच और इलाज सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त किया जाता है |
टीबी की सही समय पर जांच, उपयुक्त अवधि तक चिकित्सा और पौष्टिक आहार सेवन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया तथा कार्यशाला में उपस्थित टीबी रोगियों को पौष्टिक आहार के पैकेट उपलब्ध कराये गए |
कार्यशाला में उपस्थित जिला क्षय रोग अधिकारी डा० राजेश सिंह द्वारा टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता हेतु प्राइवेट अस्पतालों एवं निजी चिकित्सको की भागीदारी पर बल दिया गया ।
आईएमए, हापुड़ शाखा के अध्यक्ष डा० नरेन्द्र मोहन सिंह , सेक्रेटरी डा० विमलेश शर्मा द्वारा टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में निजी चिकित्सको की सक्रिय भागीदारी का आश्वासन दिया गया तथा टीबी रोगियों को गोद लेकर नियमित पौष्टिक आहार की उपलब्धता प्रदान करने का भरोसा दिया |
कार्यशाला में जिला पी०पी०एम० समन्वयक सुशील चौधरी, वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक हशमत अली, टी०बी०एच०वी० राजकुमार सिंह तथा आई०एम०ए० सदस्य डा० श्याम कुमार, डा० गोविन्द सिंह, डा० प्रवीन कुमार, डा० हरिओम सिंह, डा० एस०पी० सिंह, डा० आर०डी० शर्मा, डा० जिवोत्तम नारंग, डा० संजय राय, डा० गौरव मित्तल, डा० नरेन्द्र केन के अलावा देव नन्दिनी अस्पताल के अधिकारी दीपक चौधरी, दुष्यंत त्यागी, आदि उपस्थित रहे |