तेज ध्वनि प्रदूषण मनुष्य के लिए खतरनाक-डॉ.बघेल,स्टूडेंट्स को विभिन्न प्रदूषण के बारें में किया जागरूक
हापुड़ (अमित मुन्ना)।
एसएसवी कॉलेज के रसायन विज्ञान के पद पर कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मानवेंद्र सिंह बघेल ने तीसरे दिन भी छात्र-छात्राओं को विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के बारे में जागरूक किया।डॉ मानवेंद्र सिंह बघेल ने बताया एक तरफ जहां वायु मे बढ़ता हुआ प्रदूषण श्वसन तंत्र पर हमला कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ चारों ओर से बढ़ता हुआ ध्वनि प्रदूषण भी एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है। ध्वनि प्रदूषण का प्रकोप दिमाग पर एक धक्के की तरह लगता है। रुके हुए ट्रैफिक में लोगों द्वारा बजाए जा रहे हैं निरर्थक कठोर ध्वनि के हाॅर्न की आवाज से कभी-कभी इंसान अपने आप को विचलित सा महसूस करता है। सामान्य रूप मनुष्यों के द्वारा सुनी जा सकने वाली ध्वनि की सुरक्षित सीमा 20 से 20000 हर्ट्ज (0 से 120 डेसिबल) की होती है। इस रेंज मे भी ऊपर का शोर सुनना झुंझलाहट को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा कि हापुड़ शहर मे सड़क यातायात के शोर से बाईपास बनने से निजात तो मिली है परंतु मोहल्ले की गलियों में तेज ध्वनि के मोटरसाइकिल में लगे होर्न तथा 16 से 25 वर्ष के युवाओं द्वारा मोटरसाइकिल द्वारा पटाखों को छोड़ने जैसे असहनीय शोर जैसी ध्वनि उत्पन्न करना सीधे-सीधे मानसिक आघात पहुंचाती है। डॉ संगीता अग्रवाल ने छात्रों को बताया कि हमें आयोजित होने वाले विभिन्न समारोहों मे चाहे वह कैसे भी हो, संगीत /डीजे उच्च तीव्रता की ध्वनि का नहीं सुनना चाहिए। शोर कैसा भी हो विकार उत्पन्न करता है। डॉक्टर संगीता अग्रवाल ने बताया कि शोर के संपर्क में आने के बहुत से लक्षण हो सकते हैं जैसे नींद में असहजता, झुंझलाहट, मनोरोग व मनोविकार आदि उत्पन्न करता है।
दोनों ही प्रोफेसर्स ने समाज से आग्रह किया है कि वह बिना वजह अपनी मोटरसाइकिल या कार से उच्च तीव्रता की ध्वनि उत्पन्न न करें और अपने शहर को प्रदूषण रहित बनाने में सहयोग करें।