डिप्रेशन यानी अवसाद एक मानसिक समस्या है, जिसमें व्यक्ति को किसी भी तरह की खुशी और आनंद महसूस नहीं होता है. अवसाद का मतलब उदास होने से कहीं ज्यादा है. अधिकतर अवसादग्रस्त लोगों को लगता है कि वह जिंदगी में कभी खुश नहीं रह पाएंगे. हम यह तो जानते हैं कि डिप्रेशन या अवसाद से ग्रसित व्यक्ति का साथ देना चाहिए. लेकिन यह नहीं जानते कि साथ किस तरह देना चाहिए. नतीजतन हम उनसे ऐसा कुछ कह देते हैं, जो उनकी समस्या को और ज्यादा बढ़ा देता है. इससे उसका मानसिक स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ सकता है. 5 ऐसी बातें हैं, जो आपको अवसाद के शिकार किसी व्यक्ति से भूलकर भी नहीं बोलनी चाहिए.
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डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति से क्या ना कहें?
जब कोई व्यक्ति अवसाद में होता है, तो उसे छोटी से छोटी बात भी इतना गहरा असर कर सकती है कि आप कल्पना नहीं कर सकते. इसलिए नीचे बताई गई 5 बातों को किसी अवसादग्रस्त व्यक्ति से कभी ना कहें, इससे उसे आपका साथ मिलने की जगह ठेस पहुंचेगी.
1. ‘खुश रहा करो’
आपको यह समझना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति अवसाद में जान बूझकर नहीं जाता है. अगर वह इतनी आसानी से खुश रह पाता तो वह बहुत पहले ही खुश रहने लगता. आपकी यह सलाह उसकी परेशानी को बढ़ा सकती है. क्योंकि वह पहले से ही खुश रहने की कोशिश कर रहा होता है और आपका यह कहना कि खुश रहो, उसे यह सोचने पर मजबूर कर देगा कि वह खुश ना रहकर कुछ गलत कर रहा है. बल्कि आपको उसे खुश होने के मौके देने चाहिए, जिससे वह धीरे-धीरे खुशी को महसूस कर सके.
2. ‘यह परेशानी इतनी बड़ी नहीं है’
जब भी कोई व्यक्ति आप से अपनी परेशानी बताए, तो उसे यह मत कहिए कि उसकी परेशानी इतनी बड़ी नहीं है. हो सकता है कि आप उसे यह समझाना चाह रहे हों कि वह परेशान होना कम करे. लेकिन आपकी यह सलाह उसकी मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकती है. उसे लग सकता है कि उसकी परेशानी को समझने वाला कोई मौजूद नहीं है. इसकी जगह आप उसे ऐसी जगह दें, जहां उसकी परेशानी को गैर-आलोचनात्मक आजादी मिले.
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3. ‘तुम्हारी गलती है’
आप यह बात समझ लें कि डिप्रेशन इंसान के नियंत्रण से बाहर के फैक्टर्स पर निर्भर करता है. जैसे अनुवांशिक, वातावरण व ब्रेन केमेस्ट्री आदि. इसलिए अगर आप किसी के डिप्रेशन के लिए उसी को जिम्मेदार ठहराने जा रहे हैं, तो ऐसा मत करिए. पहले से पीड़ित किसी व्यक्ति को उसकी हालत के लिए दोष देना गलत कदम होगा.
4. ‘तुम से ज्यादा भी लोग झेल रहे हैं’
किसी अवसादग्रस्त व्यक्ति से यह कहना कि ‘जो तुम्हारे पास है, उससे खुश रहना सीखो’ या ‘दूसरे लोग ज्यादा परेशानी झेल रहे हैं’ गलती हो सकती है. इससे उसे लगने लगेगा कि वह जो भी महसूस कर रहा है, उसमें उसकी गलती है. अवसाद की स्थिति काफी व्यक्तिगत होती है और उसे पीड़ित व्यक्ति से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता. इसलिए उसकी स्थिति को किसी दूसरे की स्थिति से तोलना अच्छा नहीं होगा.
5. ‘तुझसे तंग आ गए हैं’
अवसाद से पीड़ित किसी व्यक्ति की मदद करना काफी कठिन हो सकता है. लेकिन यह बहुत जरूरी है कि उसपर गुस्सा ना करें. ‘तुम सिर्फ अपने बारे में सोचते हो’, ‘तुम पागल हो’, ‘तुम्हें देखना चाहिए कि तुम्हारी हरकतों से दूसरों पर क्या गुजर रही है’, ऐसी बातें कभी भी पीड़ित व्यक्ति से ना बोलें. इससे उसकी शर्मिंदगी और परेशानी बढ़ सकती है.
यहां दी गई जानकारी किसी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.