ज्यादा नमक का सेवन आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हो सकता है खतरनाक, जानिए क्या कहती है स्टडी
यह एक जाना-माना तथ्य है कि हमारे भोजन में बहुत अधिक नमक हृदय रोग और ब्लड प्रेशर के जोखिम को बढ़ाता है। लेकिन हम में से अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि अधिक नमक वाले आहार के सेवन को मस्तिष्क संबंधी समस्याएं, जैसे मस्तिष्क विकार, स्ट्रोक और संज्ञानात्मक हानि से जोड़ा गया है।
मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है ज्यादा नमक
नेचर न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार बहुत अधिक नमक संज्ञानात्मक घाटे (cognitive deficits) का कारण बन सकता है। अच्छी खबर यह है कि एक नए अध्ययन से पता चला है कि ये नकारात्मक प्रभाव उलट सकते हैं। जानना चाहती हैं कैसे? तो आगे पढ़ती रहिए।
हम यहां आपको बता रहे हैं कि अत्यधिक नमक का सेवन आपके मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकता है, साथ ही आप इन नाकारात्मक प्रभावों को कैसे उलट सकती हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जैसा कि नए शोध के लेखक बताते हैं, यह सुझाव दिया गया था कि इन नकारात्मक प्रभावों के पीछे एक संभावित तंत्र में मस्तिष्क रक्त वाहिकाओं के अंदर तथाकथित एंडोथेलियल कोशिकाएं शामिल हैं।
एंडोथेलियल कोशिकाएं हमारी रक्त वाहिकाओं को पंक्तिबद्ध करती हैं और संवहनी स्वर को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार होती हैं। लेकिन उच्च मात्रा में नमक वाले आहार का सेवन इन कोशिकाओं के रोग के साथ जुड़ा हुआ है।
हालांकि एपिथेलियल डिसफंक्शन (epithelial dysfunction) पुरानी बीमारियों की अधिकता ला सकते है। इसके बावजूद यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है कि नमक से प्रेरित एंडोथेलियल डिसफंक्शन लंबे समय में मस्तिष्क को कैसे प्रभावित कर सकता है।
अध्ययन के लेखक कॉस्टैंटिनो इडाकोला, कहते हैं कि यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि मस्तिष्क ठीक से काम करने के लिए ऑक्सीजन के एक स्थिर और चिकने प्रवाह पर बहुत अधिक निर्भर है। अपने पेपर में, इडाकोला और उनके सहकर्मी यह बताते हैं कि अत्यधिक नमक वाला आहार हमारी आंत, प्रतिरक्षा प्रणाली और आखिरकार, हमारे मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करता है।
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अत्यधिक नमक मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करता है
इडाकोला और उनकी टीम ने चूहों के एक समूह को 12 सप्ताह की अवधि के लिए, उच्च नमक वाले मानव आहार के बराबर आहार खिलाया।
पहले कुछ हफ्तों के बाद, एंडोथेलियल डिसफंक्शन, साथ ही मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में कमी को चूहों में देखा जा सकता था। इसके अतिरिक्त, व्यवहार परीक्षण से कृन्तकों (rodents) में संज्ञानात्मक गिरावट का पता चला।
हालांकि, उनका रक्तचाप अपरिवर्तित रहा।
एक महत्वपूर्ण खोज आंत की तथाकथित TH17 श्वेत रक्त कोशिकाओं में वृद्धि थी। बदले में, TH17 कोशिकाओं की उच्च संख्या ने प्लाज्मा इंटरल्यूकिन -17 (IL-17) नामक एक प्रिनफ्लेमेटरी अणु के स्तर में वृद्धि का नेतृत्व किया।
शोधकर्ता आणविक मार्ग (molecular pathway) की पहचान करने में भी सक्षम थे जिसके माध्यम से रक्त में IL-17 का उच्च स्तर नकारात्मक संज्ञानात्मक और मस्तिष्क संबंधी प्रभाव का कारण बना।
शोधकर्ता यह देखना चाहते थे कि उनके निष्कर्ष मानव कोशिकाओं में दोहराए जाएंगे या नहीं। तो, उन्होंने IL-17 के साथ मानव एंडोथेलियल कोशिकाओं को ट्रीट और समान परिणाम प्राप्त किए।
आहार परिवर्तन नकारात्मक प्रभावों को उलट सकता है
अच्छी खबर यह है कि उच्च नमक वाले आहार के नकारात्मक प्रभाव प्रतिवर्ती प्रतीत होते हैं। अध्ययन में चूहों को 12 सप्ताह के बाद एक सामान्य आहार में लौटा दिया गया था, और परिणाम उत्साहजनक थे।
वैस्कुलर डिसफंक्शन और संज्ञानात्मक दुर्बलता की परिवर्तिता की ओर इशारा करते हुए, लेखक लिखते हैं कि चूहों को सामान्य आहार में लौटाकर उच्च नमक वाले आहार के हानिकारक प्रभाव को कम किया जा सका।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने एक दवा के साथ प्रयोग किया जो अत्यधिक नमक के प्रभाव को उलट देती है। एमिनो एसिड एल-आर्जिनिन का चूहों पर उतना ही लाभकारी प्रभाव था जितना कि उन्हें वापस एक सामान्य आहार खिलाना।
क्या रहा निष्कर्ष
निष्कर्ष बताते हैं कि जीवनशैली में बदलाव, या दवाओं का एक नया वर्ग, एक उच्च नमक वाले आहार के नकारात्मक प्रभावों को उलटने में मदद कर सकता है।
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