fbpx
News

बीमा प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी पर भी ले सकते हैं कर छूट का लाभ

जीवन और स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम भुगतान पर आयकर नियमों के तहत कर छूट की जानकारी आपकी जरूर होगी, लेकिन आपको बता दें कि प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी भुगतान के बदले भी टैक्स छूट ले सकते हैं। आयकर नियमों के तहत इसकी सीमा और शर्तें तय हैं।  स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है।

यह भी पढ़ें: Tax की गणना करते समय जानें क्या है आयकर में छूट, कर छूट और कर कटौती

यदि आपकी पॉलिसी का प्रीमियम 21 हजार रुपये है तो 18 फीसदी जीएसटी के हिसाब से 3960 रुपये और चुकाने होंगे। इस तरह आपको कुल 24,960 रुपये का भुगतान करना होगा। आयकर नियमों के तहत स्वास्थ्य बीमा पर कुल 25 हजार रुपये तक की कर छूट ले सकते हैं। इस तरह आप कुल 24,960 रुपये की टैक्स छूट ले सकते हैं।

टर्म प्लान में ऐसे करें आकलन

आयकर नियमो के तहत जीवन बीमा के प्रीमियम पर कुल 1.50 लाख रुपये तक की टैक्स छूट ले सकते हैं। हालांकि, जीएसटी भुगतान पर टैक्स छूट पॉलिसी के अनुसार अलग-अलग है। टर्म प्लान में 18 फीसदी जीएसटी लगती है। यदि आप 30 साल के हैं 20 वर्ष के लिए एक करोड़ रुपये के कवर वाला टर्म प्लान लेते हैं तो उसका प्रीमियम करीब नौ हजार रुपये होगा। इसमें 18 फीसदी जीएसटी जोड़ने के बाद कुल प्रीमियम 10,620 रुपये होगा। ऐसे में आप 10,620 रुपये की टैक्स छूट ले सकते हैं।

यह भी पढ़ें:  नए इनकम टैक्स स्लैब में अभी भी आपके पास हैं 50 तरह के कर छूट

यूलिप में अलग नियम

शेयर बाजार से जुड़ी यूनिट लिंक्ड प्लान (यूलिप) का प्रीमियम पॉलिसी में निवेश और बाजार में निवेश दो हिस्से में बंटा होता है। इसमें जीएसटी केवल बीमा कवर वाले प्रीमियम, प्रबंधन खर्च और अन्य शुल्क को मिलाकर लगता है। इस तरह की पॉलिसी में निवेश के हिस्से पर कोई जीएसटी नहीं लगती है। यूलिप में जीएसटी की दर 18 फीसदी है।

 income tax

परंपरागत पॉलिसी में कम जीएसटी

परंपरागत जीवन बीमा यानी एनडाउमेंट प्लान में जीएसटी पहले साल के कुल प्रीमियम के 25 फीसदी हिस्से पर ही लगता है और इसकी दर 4.5 फीसदी होती है। इसके बाद आगे के वर्षों में इसपर कुल प्रीमियम पर 12.5 फीसदी जीएसटी लगता है। अंततः परंपरागत पॉलिसी में औसत जीएसटी 2.25 फीसदी रह जाता है।

निवेश दस्तावेज में जरूर दें जानकारी

आप नौकरीपेशा हैं तो नियोक्ता आपसे निवेश का सबूत मांगते हैं ताकि उसी के मुताबिक आपके वेतन से कम या ज्यादा स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) किया जा सके। सामान्यतः फरवरी में सभी नियोक्ता अपने कर्मचारियों से एक फॉर्म के जरिये इसकी जानकारी मांगते हैं। ऐसे में इस दस्तावेज को भरते समय बीमा प्रीमियम और उसपर किए गए जीएसटी भुगतान को जोड़कर आकलन करें और सावधानी से उसका विवरण दें।

Source link

Show More

Leave a Reply

Back to top button

You cannot copy content of this page