जनपद के दो शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करते हुए हैं गए थे शहीद

उनकी याद में गांव में लगी मूर्तियां बयां करती है बहादुरी की कहानी

हापुड़।

1999 में कारगिल युद्ध के जनपद के दो बेटों ने भी तोलोलिंग व अन्य चोटी पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए शहीद हो गए थे। उनकी बहादुरी के किस्से आज भी गांव में सुनाएं जाते हैं।

जनपद के गढ़ क्षेत्र के गांव लुहारी निवासी लांस नायक सतपाल सिंह 32 वर्ष की उम्र में कारगिल युद्ध 28 जून 1999 शहीद हो गए थे।
सतपाल का जन्म गांव लुहारी में ही 17 जनवरी 1967 को हुआ था। वर्तमान में शहीद के परिजन मेरठ में रहते हैं। शहीद सतपाल सिंह का बेटा पुलकित दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई कर रहा है, वहीं बेटी दिव्या एमए की पढ़ाई कर रही हैं। दोनों बच्चों का कहना है कि पिता के सपनों को साकार करने के लिए वह भी भारतीय सेना में शामिल होकर देश सेवा करना चाहते हैं। गांव में पुश्तैनी मकान के सामने ही स्मारक स्थल बना हुआ है। हर साल शहीद की पत्नी बबीता देवी, पुत्र पुलकित, पुत्री दिव्या समेत ग्रामीण स्मारक स्थल पर हवन कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। गांव में स्थित पुश्तैनी मकान में वर्तमान में सुंदर चौधरी रहते हैं। बच्चों की शिक्षा व पेट्रोल पंप संचालन के लिए बबीता मेरठ कंकरखेड़ा रहती हैं।

उधर हापुड़ के गांव उदयपुर के लांस नायक शहीद चमन सिंह ने राजपूताना राइफल्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तोलोलिंग चोटी पर कब्जा करने के लिए पांच जवानों के साथ चमन सिंह ऊपर चढ़े थे। 13 जून को पहाड़ी पर पहुंचकर उन्होंने कई दुश्मनों को ढेर कर दिया। दुश्मनों ने उनके ऊपर घात लगाकर गोलियां बरसा दीं जिससे चमन सिंह शहीद हो गए थे। जिसके बाद उनकी प्रतिमा गांव में स्थापित की गई।

शहीद की पत्नी शकुंतला देवी फिलहाल अपने दो पुत्रों कपिल और गौरव के साथ नोएडा में रहती हैं। सरकार द्वारा दी गयी आर्थिक मदद और पेट्रोल पंप मिलने के बाद उन्होंने बच्चों के पालन पोषण के लिए नोएडा रहना शुरू कर दिया। जबकि शहीद के माता पिता का भी देहांत हो चुका है। अब गांव में उनका मकान खंडहर में तब्दील हो चुका है। हालांकि गांव में शहीद की प्रतिमा और समाधि मौजूद है। उनके भाई गिरीराज परिवार के साथ यहां रहते हैं।

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