हापुड़ (अमित मुन्ना)। स्वामी विवेकानंद जयंती के शुभ अवसर पर एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन आवास विकास हापुड़ संजय विहार में किया गया।
मुंबई से पधारे हास्य कवि हरीश शर्मा यमदूत ने कवि सम्मेलन की अध्यक्षता की तथा मंच संचालन सुप्रसिद्ध कवि डा अनिल बाजपेई ने किया। हरिद्वार से पधारी कवयित्री पूजा अरोरा ने पढ़ा, ” बाबुल ने पालना झुलाया ,माँ ने सुनायी थी लोरी..
सब अपनी जगह थे क़ायम ,क्यों बेटियों ने दहलीज़ छोड़ी “॥ प्रख्यात कवि डा. अनिल बाजपेई ने स्वामी विवेकानंद के बारे में पढ़ा, अमरीका जाकर बही,ज्ञान समीर सुगंध! भारत मां तब कह उठी,धन्य विवेकानंद”!!
अन्य दोहे में श्री बाजपेई ने पढ़ा,” चौपाई कविता कहे ,कहे गीत अरु छंद!
दिल की धड़कन में बसे,पूज्य विवेकानंद”!!
पिलखुवा से पधारे डॉ. सतीश वर्द्धन ने पढ़ा कि “विष दिये जाओ तुम हम पिये जायेंगे।प्यार फिर भी तुम्हे हम किये जायेंगे।
सौंपते हैं तुम्हें डोर साँसों की हम।
चाहोगे जब तलक हम जिये जायेंगे”।।
नोएडा से पधारे डा मंजीत सिंह अवतार ने पढ़ा,”आजादी ये पाई है कैसी, कैसे तुम्हें बताएं,
देश की आधी जनता भूखे पेट ही सो जाएं,,
ये है आजादी की तान..जिंदाबाद हिंदुस्तान….”
धौलाना से पधारे ओज कवि राजकुमार शिशौदिया ने हिन्दी की महिमा का गुणगान करते हुए पढा कि
“हिन्दी हैं हमारी,शान हिन्दी का बढाये मान हिन्दी,
हिन्दी की उतारे हम मिल करे आरती।
हिन्दी का बखान” ।
गाजियाबाद से पधारी कवयित्री रुपा राजपूत जी ने पढ़ा,
“कोशिशों को सकल एक अम्बर मिले।
सबको खुशियों का पूरा समंदर मिले।
जनवरी से ही शुरुआत हँसने की हो।
और हँसता हुआ ही दिसम्बर मिले”।मुंबई से पधारे हरीश शर्मा यमदूत ने अपनी ” धुंआ और भूत “रचना पढ़ते हुए कहा , “इन्सान तो वैसे भी अब अश्लील नृत्य व गानों में मगन है !
ऐसे में इन भूतों के सिवा कराता ही कौन कवि सम्मेलन है ” !!
मधु अरोरा ,स्पर्श शर्मा,प्रमोद शर्मा ने भी काव्यपाठ किया।